भारत और चीन को निर्माता के रूप में प्रति डिवाइस मात्र 30 अमेरिकी डॉलर मिलते हैं, जो डिवाइस की लागत का 3 प्रतिशत से भी कम है। विनिर्माण इकाइयां मूल्य में कम रिटर्न देती हैं, लेकिन इससे लोगों को रोजगार अधिक मिल पाता है। चीन में लगभग 3 लाख कर्मचारी और भारत में 60,000 कर्मचारी इन इकाइयों में काम करते हैं। जीटीआरआई का कहना है कि यही कारण है कि ट्रंप चाहते हैं कि एपल अपना विनिर्माण अमेरिका में स्थानांतरित करे। इसका क्या असर होगा, आइए जानते हैं।
अगर एपल के सीईओ टिम कुक भारत से अपनी विनिर्माण इकाई को अमेरिका ले जाने का फैसला करते हैं, तो भारत से ज्यादा नुकसान एपल को होगा। यह दावा किया है ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने। जीटीआरआई की रिपोर्ट के अनुसार भारत से एपल का विनिर्माण बाहर जाने से देश को कुछ कम वेतन वाली नौकरियां खोनी पड़ सकती है, लेकिन अगर हम समग्र रूप से देखें तो बहुत ज्यादा नुकसान की बात नहीं है।
जीटीआरआई के अनुसार वर्तमान में हर आईफोन पर 30 अमेरिकी डॉलर कमाता है, जिसका ज्यादातर हिस्सा उत्पादन से जुड़ी सब्सिडी (पीएलआई) योजना के तहत सब्सिडी के रूप में एपल को वापस दिया जाता है। साथ ही, भारत एपल जैसी बड़ी कंपनियों के अनुरोध पर प्रमुख स्मार्टफोन घटकों पर टैरिफ कम कर रहा है, जिससे उन घरेलू उद्योग को नुकसान हो रहा है, जो स्थानीय विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र बनाने में लगे हैं। ऐसे में अगर एपल गया भी तो हमें किसी बड़े नुकसान की आशंका नहीं है।