मई में चली हीटवेव ने अब तक के सभी गर्मी के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। वैज्ञानिकों के एक समूह द्वारा जलवायु की समीक्षा के अनुसार, भारत में मई में चली हीटवेव अब तक की सबसे गर्म हीटवेव से भी डेढ़ डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म रही। क्लाइमेटर के समीक्षकों ने बताया कि मई में भारत में जो भीषण हीटवेव आई, वह अल नीनो प्रभाव, मध्य और पूर्वी प्रशांत महासागर की सतह का असामान्य रूप से गर्म होना और ग्रीनहाउस गैसों के बढ़ते उत्सर्जन के कारण हीटवेव और गर्मी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है।
गर्मी बढने का कारण
वैज्ञानिकों ने साल 1979 से 2001 और 2001 से 2023 तक के तापमान की तुलना की। इस तुलना के अनुसार, देश में सबसे गर्म हीटवेव मई में डेढ़ डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म थी। वैज्ञानिकों ने पाया कि अब भारत में हीटवेव इंसानी सहनशीलता से ज्यादा होती जा रही है और इसकी वजह जीवाश्म ईंधन का ज्यादा इस्तेमाल है। फ्रेंच नेशनल सेंटर फॉर साइंटिफिक रिसर्च से डेविडे फ्रांडा ने कहा कि भारत का तापमान 50 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच गया है और फिलहाल कोई तकनीकी समाधान नहीं मिल रहा है। कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम करने का प्रयास करना चाहिए।
सिंगापुर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का कहना है कि हीटवेव भविष्य में अधिक खतरनाक होंगे। अल-नीनो प्रभाव और मानव निर्मित जलवायु परिवर्तन दुनिया का तापमान बढ़ा रहे हैं। मई में लू का प्रकोप मध्य भारत और उत्तर पश्चिम भारत में अधिक घातक था। हीटवेव कई राज्यों में लोगों के मारने का कारण बनी। साथ ही देश के 150 बड़े जलाश्यों में जलस्तर घटकर 22% रह गया है। ऊर्जा की खपत बढ़ने से भी कई राज्यों में बिजली कटौती की समस्या है। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देश में लगभग 25 हजार हीट स्ट्रोक के मामले हुए, जिनमें गर्मी से संबंधित बीमारियों से 56 लोगों की मौत हुई।
हीट वेव से बचाव कैसे करें?
इसके लिए पर्याप्त मात्रा में पानी (करीब 2 से 3 लीटर प्रतिदिन) पीते रहें। इन दिनों हल्के-फुल्के और ढीले सूती कपड़े पहनें, ताकि इनसे हवा पास होती रहे और शरीर को ठंडक मिलती रहे। पीक धूप के समय घर-ऑफिस से बाहर न निकलें। कोशिश करें कि सुबह या शाम को ही ट्रेवल करें।