मथुरा और वाराणसी में मंदिर बनाने के लिए BJP को 400 सीटों की जरूरत, पीओके भी लेंगे वापस; असम सीएम हिमंत ने दिया बयान

देश में लोक सभा चुनाव का चौथा चरण पूरा हो चुका है। वहीं, विपक्ष और सत्ता पक्ष द्वारा कई तरह के दावे किए जा रहे हैं। 4 जून को लोक सभा चुनाव का रिजल्ट आना है।

वहीं, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि जब भाजपा को 300 सीटें मिलीं, तो उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर बनाया और अब लोक सभा चुनाव में 400 सीटें मिलने के बाद मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि स्थल और वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के स्थान पर मंदिर बनाए जाएंगे।

उन्होंने यह भी कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (पीओजेके) को भारत में शामिल किया जाएगा।

उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस के शासनकाल में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को लेकर संसद में कोई चर्चा नहीं होती थी।

हिमंत ने कहा, जब कांग्रेस सरकार सत्ता में थी, तो हमें बताया गया था कि एक कश्मीर भारत में है और दूसरा पाकिस्तान में। हमारी संसद में कभी इस बात पर चर्चा नहीं हुई कि पाकिस्तान का ‘अधिकृत कश्मीर’ है, वह वास्तव में हमारा है।’ इस वक्त पीओके में हर दिन आंदोलन हो रहा है और लोग हाथों में भारतीय तिरंगे लेकर पाकिस्तान के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। अगर मोदी जी को 400 सीटें मिल गईं तो PoK भी भारत का हो जाएगा और इसकी शुरुआत हो चुकी है।

असम के मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि भाजपा सरकार आरक्षण को और अधिक मजबूती देने के लिए काम कर रही है।

उन्होंने कहा, पीएम मोदी खुद ओबीसी वर्ग से आते हैं। बीजेपी 10 साल से सत्ता में है। हमारी सरकार आरक्षण को और मजबूती देने के लिए काम कर रही है। कांग्रेस एससी, एसटी और ओबीसी आरक्षण खत्म कर मुसलमानों को आरक्षण देना चाहती है जिसकी शुरुआत उन्होंने कर्नाटक में कर दी है।

इससे पहले, पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (पीओजेके) में विरोध प्रदर्शनों पर प्रकाश डालते हुए, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को दोहराया कि यह भारत रहा है और हमेशा रहेगा, उन्होंने कहा कि पीओके में लोग अपनी स्थिति की तुलना वहां रहने वाले लोगों से कर रहे होंगे।

सोमवार को अवैध रूप से पीओजेके में तैनात पाकिस्तान पैरामिलिट्री रेंजर्स ने कई प्रदर्शनकारियों को गोलियों से भून दिया, जिससे दर्जनों लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।

इस घटना में क्षेत्र के कई स्थानीय लोग घायल हो गए, क्योंकि हजारों की संख्या में स्थानीय लोग बिजली बिलों पर करों, सब्सिडी में कटौती और प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के भत्तों और विशेषाधिकारों को समाप्त करने के खिलाफ अपनी मांगों को उठाने के लिए सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे थे।