प्रयागराज के रहने वाले जयशंकर त्रिपाठी के नाम इतनी विज्ञापन फिल्में हैं कि गिनने बैठें तो सुबह से शाम हो जाए। फिल्म और टेलीविजन के वह नामचीन कलाकार हैं लेकिन इन दिनों मुंबई फिल्म और टीवी जगत के बदलते माहौल से परेशान हैं। जयशंकर जैसे अनगिनत अभिनेता टीवी इंडस्ट्री में काम पूरा होने के 90 दिन बाद होने वाले भुगतान से तो परेशान रहते ही हैं, दूसरी बड़ी परेशानी इन कलाकारों की ये है कि निर्माताओं ने अब फिल्मों के लिए इन्हें आउटडोर लोकेशन पर ले जाना बंद कर दिया है। कास्टिंग डायरेक्टर अब निर्माताओं को वहीं के कलाकार सस्ते दाम पर उपलब्ध कराना शुरू कर चुके हैं।
हिंदी सिनेमा के दिग्गज कास्टिंग डायरेक्टर्स में शुमार मुकेश छाबड़ा ने देश के तकरीबन सारे हिंदी भाषी राज्यों के बड़े शहरों में अपनी शाखाएं खोल दी हैं। उनकी टीम वहां जाकर इन शहरों के कलाकारों की सूची बनाती है। फिर मुकेश छाबड़ा खुद जाकर इन कलाकारों को अभिनय की टिप्स देते हैं। ऐसी वर्कशॉप उनके नाम पर यहां मुंबई में भी खूब होती हैं। कुछ में वह खुद अभिनय पढ़ाते हैं। कुछ में रंगमंच के उस्ताद अभिनय पढ़ाने आते हैं। मुकेश खुद कहते हैं, “अभिनय के लिए अब मुंबई ही इकलौता ठिकाना नहीं है। फिल्में अब जहां-जहां शूट होने जा रही हैं, हम वहीं के कलाकार चुनने शुरू कर चुके हैं।”