कोई आकर हमारी मदद करे, हमने अपना घर खो दिया है। हमें नहीं पता कि नौशीन (परिवार की सदस्य) जिंदा है या नहीं। वह दलदल में फंस गई है। उसका मुंह कीचड़ से भरा है। कोई उसे बचा ले। मदद की यह गुहार केरल के वायनाड के चूरलामाला इलाके में भूस्खलन में फंसी एक महिला की थी। मुंह में कीचड़ और कमर तक मलबे में फंसे होने के बावजूद अपनी बेटी की मदद के लिए गुहार लगाती महिला की आंखों में आंसू थे और मन में डर कि कहीं बेटी को कुछ हो न जाए। महिला ने तो जैसे-तैसे अपनी जान बचा ली, लेकिन उसकी बेटी बच नहीं पाई। उसने चिल्ला-चिल्ला कर लोगों से मदद मांगी, लेकिन मदद पहुंच नहीं पाई। वायनाड में जहां भूस्खलन हुआ है, वहां की तस्वीर प्रलय से पस्त इलाके जैसी है। हादसे के बाद सामने आए वीडियो रौंगटे खड़े कर देने वाले हैं। वीडियो में लोग बिलख रहे हैं, मदद की गुहार लगा रहे हैं। लोग गले-गले तक कीचड़ में फंस चुके हैं। अब भी कई लोग मकानों और मलबों के ढेर में दबे हैं। चूरलमाला निवासी एक व्यक्ति ने फोन पर बातचीत के दौरान बताया कि धरती कांप रही है। इस जगह पर बहुत शोर है। हमारे पास चूरलमाला से आने का कोई रास्ता नहीं है। एक अन्य व्यक्ति ने बताया कि मुंदक्कई में बड़ी संख्या में लोग कीचड़ में फंसे हुए हैं और जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। अगर कोई मेप्पाडी क्षेत्र से वाहन से यहां आ सकता है, तो हम सैकड़ों लोगों की जान बचा सकते हैं।
भूस्खलन से मची तबाही के बाद जिले के अस्पताल में दर्द का मंजर था। फर्श पर रखे शवों की कतार में रोते हुए लोग अपने प्रियजनों को खोज रहे थे। कुछ लोग अपनों के शव देखकर सदमे में थे तो जिनके परिजन घायल हुए उन्हें देखकर राहत की सांस ली। एक युवती ने कहा कि भूस्खलन के बाद उसके परिवार के दो बच्चे सहित पांच सदस्य लापता हैं। एक स्थानीय आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने बताया कि वह चार सदस्यों वाले परिवार की तलाश कर रही थी, जिसमें एक 12 वर्षीय लड़की भी शामिल थी, जिसे वह लंबे समय से जानती थी। उनके कुछ रिश्तेदारों ने सुबह मुझे फोन किया और कहा कि पूरा परिवार लापता है। उनका घर ढह गया है। दुर्भाग्य से, मैं उनमें से किसी को भी अब तक यहां नहीं ढूंढ पाई हूं। भूस्खलन में उत्तर भारत के चार पर्यटक और कर्नाटक का एक टैक्सी ड्राइवर भी फंस गए हैं। हालांकि पर्यटकों की पहचान नहीं हो पाई है। बंगलूरू में टैक्सी सेवा देने वाले सचिन गौड़ा ने बताया, पिछले बृहस्पतिवार को ऑनलाइन बुकिंग पर अर्टिगा गाड़ी से चार पर्यटकों को बंगलूरू हवाईअड्डे से लेकर वायनाड पहुंचाया था। दो दिन से वहीं थे। मंगलवार तड़के भूस्खलन में ये सभी वहां फंस गए। गौड़ा ने बताया, टैक्सी ड्राइवर ने सोमवार देर रात बताया कि हर ओर पानी ही पानी है। वह इतना डर गया कि रात में ही नजदीक के अस्पताल में चला गया। पर्यटकों में दो महिलाओं को भी बाद में बचा लिया गया और एक का आईसीयू में इलाज चल रहा है। दूसरी की हालत ठीक है। दो अन्य लापता हैं और उनके फोन भी बंद हैं।