नई दिल्ली, 30 मई 2025 – ईद-उल-अज़हा के मौके पर भारत के मुसलमानों के नाम अपने एक संदेश में जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा है कि इस्लाम में क़ुरबानी का कोई विकल्प नहीं है, यह एक धार्मिक कर्तव्य है जिसकी अदायगी हर सक्षम मुसलमान पर वाजिब है। इसलिए जिस व्यक्ति पर क़ुरबानी वाजिब है, उसे हर हाल में यह फर्ज़ अदा करना चाहिए।उन्होंने कहा कि वर्तमान हालात के मद्देनज़र यह ज़रूरी है कि मुसलमान एहतियात का रवैया अपनाएं।
प्रचार-प्रसार और ख़ासतौर पर सोशल मीडिया पर क़ुरबानी के जानवरों की तस्वीरें आदि साझा करने से बचें।मौलाना मदनी ने यह भी सलाह दी कि मुसलमान क़ुरबानी करते समय सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देशों का पूरी तरह पालन करें। प्रतिबंधित जानवरों की क़ुरबानी से बचें और चूंकि धर्म में इसके बदले काले जानवर की क़ुरबानी भी जायज़ है, इसलिए किसी भी फसाद से बचने के लिए उसी पर इक्तिफाक(संतोष) करना बेहतर होगा। उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसी जगह शरारती तत्व काले जानवर की क़ुरबानी से भी रोकते हैं, तो समझदार और प्रभावशाली लोगों के माध्यम से स्थानीय प्रशासन को विश्वास में लेकर क़ुरबानी की जाए। अगर फिर भी, ख़ुदा न ख़्वास्ता, इस धार्मिक फर्ज़ की अदायगी का कोई रास्ता न निकले तो पास के किसी ऐसे इलाक़े में क़ुरबानी कर दी जाए जहाँ कोई परेशानी न हो। हालांकि, जहाँ पर क़ुरबानी होती आई है और इस समय परेशानी है, वहाँ कम से कम बकरे की क़ुरबानी ज़रूर की जाए और उसकी सूचना प्रशासनिक दफ्तर में दर्ज करा दी जाए ताकि भविष्य में कोई समस्या न हो।मौलाना मदनी ने देश के मुसलमानों को ईद-उल-अज़हा के मौके पर साफ़-सफ़ाई का ख़ास ध्यान रखने की सलाह देते हुए कहा कि जानवरों के अवशेष (फुज़लात) को सड़कों, गलियों और नालियों में न फेंकें, बल्कि इस तरह से दफ़न किया जाए कि बदबू न फैले।
मौलाना मदनी ने यह भी कहा कि हर मुमकिन कोशिश की जाए कि हमारे किसी अमल से किसी को तकलीफ न पहुंचे। साम्प्रदायिक तत्वों की ओर से किसी भी तरह की उकसावे वाली कार्रवाई पर सब्र और संयम का प्रदर्शन करते हुए, मामले की शिकायत स्थानीय थाने में ज़रूर दर्ज करा दे।हमें हरगिज़ मायूस नहीं होना चाहिए, बल्कि अल्लाह पर पूरा भरोसा रखते हुए हालात का मुक़ाबला अमन-शांति, प्यार-मुहब्बत और सब्र-सुकून के साथ करना चाहिए।