हरियाणा में 25 मई को लोकसभा चुनाव के दिन मतदान केंद्रों पर सुबह के समय जिस तरह से मतदाताओं की लंबी लाइन लग रही थी, उसे देख कर लग रहा था कि इस बार वोटिंग के सारे रिकॉर्ड टूट जाएंगे परंतु ऐसा नहीं हुआ। अलबत्ता पिछले वर्षों से भी कम मतदान हुआ। जिले के 256857 मतदाता तो ऐसे हैं जो बूथ तक गए ही नहीं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या जिला प्रशासन द्वारा मतदाताओं को जागरूक करने के लिए जो अभियान चलाए गए, उनमें कोई कमी रह गई। ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। प्रशासन की तरफ से स्कूल, कॉलेजों से लेकर गली, मोहल्लों में रैलियां तक निकाली गईं, फिर भी वोट डालने के लिए अपेक्षाकृत कम मतदाता ही घर से बाहर निकले।
यमुनानगर जिले में जो 256857 वोट पोल नहीं हुए, वह इतने ज्यादा हैं कि किसी भी पार्टी के प्रत्याशी की किस्मत का फैसला कर सकते हैं। कई बार तो इतने वोट किसी एक प्रत्याशी को पड़ते भी नहीं है। खास बात यह है कि जिन लोगों ने वोट नहीं डाला, उनमें ज्यादातर युवा हैं। यही वजह है कि बूथों पर युवाओं से ज्यादा बुजुर्गों की लंबी लाइनें देखने को मिली। पूरे हरियाणा में सबसे ज्यादा मतदान करने पर हम भले ही वाहवाही लूट लें, परंतु पिछले साल से भी कम वोट पड़ना चिंता का विषय है। इससे पहले जिला प्रशासन के साथ-साथ निर्वाचन आयोग की तरफ से स्कूलों में शपथ भी दिलाई गई। पेंटिंग प्रतियोगिताएं भी करवाई गईं परंतु इन सबका भी वोटरों पर कोई खास असर नहीं हुआ।
रादौर विधानसभा में सबसे ज्यादा छह प्रतिशत का अंतर
वर्ष 2019 में साढौरा विधानसभा में 210449 मतदाताओं में से 165702 ने, जगाधरी विधानसभा में 213500 में से 165955 ने, यमुनानगर विधानसभा में 220542 में से 154240 ने, रादौर विधानसभा में 192802 में से 149872 लोगों ने ही वोट डाला था। उस दौरान साढौरा विधानसभा में 78.7 प्रतिशत, जगाधरी विधानसभा में 77.7 प्रतिशत, यमुनानगर में 69.9 प्रतिशत व रादौर में 77.7 प्रतिशत मतदान हुआ था। वहीं 2024 की बात करें तो इस बार साढौरा में 74.9 प्रतिशत, जगाधरी में 74.3 प्रतिशत, यमुनानगर में 65.1 प्रतिशत और रादौर में 71.7 प्रतिशत मतदान हुआ है। इस बार मतदान में सबसे अधिक अंतर रादौर विधानसभा में देखा गया है। रादौर में छह प्रतिशत कम मतदान हुआ। इसके बाद यमुनानगर में 4.8 प्रतिशत, साढौरा में 3.8 प्रतिशत व जगाधरी में 3.4 प्रतिशत कम वोट पड़े हैं।
वोट न डालने वालों की सुविधाएं खत्म करनी चाहिए : वरयाम सिंह
एडवोकेट वरयाम सिंह का कहना है कि जिला प्रशासन से लेकर सरकार तक चुनाव से पहले तक एक-एक वोट बनवाने के लिए दिन रात एक कर देती है। इसके बावजूद ढाई लाख से ज्यादा लोग वोट नहीं डाल रहे जो लोग वोट नहीं डालते, ऐसे लोगों की सरकार को सुविधाएं खत्म कर देनी चाहिए। इसके अलावा उन पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है जो बिजली व पानी के बिल में जोड़ कर भेजा जा सकता है। जब तक सरकार वोट डालने को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाएगी तब तक ऐसा ही होता रहेगा।