अमेरिकी मुद्रा के मजबूत होने और विदेशी पूंजी के निरंतर बाहर जाने के कारण शुक्रवार को शुरुआती कारोबार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 46 पैसे टूटकर नए ऑल टाइम लो 85.73 रुपये पर पहुंच गया। यह रुपये में एक दिन की सबसे बड़ी गिरावअ है। विश्लेषकों के अनुसार, महीने के अंत और साल के अंत में भुगतान दायित्वों के लिए आयातकों की ओर से डॉलर की बढ़ती मांग के बीच डॉलर की मजबूती के कारण स्थानीय इकाई पर दबाव पड़ा। हालांकि, वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में नरमी और घरेलू इक्विटी बाजारों से सकारात्मक संकेतों ने भारतीय इकाई में गिरावट को सीमित कर दिया।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया कमजोर रुख के साथ 85.31 पर खुला और जल्द ही गिरकर 85.35 के अपने सर्वकालिक निम्नतम स्तर पर पहुंच गया, जो पिछले बंद स्तर से 8 पैसे की गिरावट थी। रुपया गुरुवार को डॉलर के मुकाबले 12 पैसे टूटकर 85.27 के अपने रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया। इससे पहले दो कारोबारी सत्रों में इसमें 13 पैसे की गिरावट आई थी।
इस बीच, छह मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की ताकत को मापने वाला डॉलर सूचकांक 0.04 प्रतिशत बढ़कर 107.93 पर कारोबार कर रहा था, जबकि अमेरिकी ट्रेजरी पर प्राप्ति बढ़ रही थी तथा 10 वर्षीय बांड 4.50 प्रतिशत के आसपास था। वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा कारोबार में 0.07 प्रतिशत बढ़कर 73.31 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।
घरेलू शेयर बाजार में 30 शेयरों वाला प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 207.16 अंक यानी 0.26 प्रतिशत बढ़कर 78,679.64 अंक पर कारोबार कर रहा था। निफ्टी 88.50 अंक यानी 0.37 प्रतिशत बढ़कर 23,838.70 अंक पर था। शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) गुरुवार को पूंजी बाजार में शुद्ध विक्रेता रहे और उन्होंने 2,376.67 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।