रेल की रफ्तार में अड़चन, दो ट्रेनें रद; कई के बदले रूट

जम्मू। किसान आंदोलन की मार से रेल यातायात उभरने का नाम नहीं ले रहा है। मंगलवार को जम्मू से चलने और आने वाली दो रेलगाड़ियां रद रहीं। रद रहने वाली रेलगाड़ी में रेल संख्या 22402 शहीद कैप्टन तुषार महाजन उधमपुर-दिल्ली सराय रोहिल्ला और रेलगाड़ी संख्या 14033 पुरानी दिल्ली-श्री माता वैष्णो देवी कटड़ा शामिल है। जबकि बुधवार को रेलगाड़ी संख्या 14503-4 कालिका-श्री माता वैष्णो देवी कटड़ा-कालिका शामिल है। वहीं, बीते कई दिन की तरह रेलगाड़ी संख्या 146612 बाड़मेर-जम्मू तवी बीते कई दिनों की तरह पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन तक आई और वहां से वापस अपने गंतव्य की ओर रवाना हो गई।

इसी प्रकार जम्मू आने और जहां से रवाना हुई कई रेलगाड़ियों के रूट में बदलाव का सिलसिला जारी रहा। रेलगाड़ी संख्या 12238 जम्मू तवी-वाराणसी स्नेहवाल-चंडीगढ़-अंबाला के रास्ते रवाना हुई। जबकि रेलगाड़ी संख्या 12413 अजमेर जम्मू तवी को जाखल-धुरी-लुधियाना के रास्ते अपने गंतव्य तक लाया गया। इसी प्रकार नई दिल्ली से जम्मू आने वाली रेलगाड़ी संख्या 12425 को भी जाखल-धुरी-लुधियाना के रास्ते से लाया गया।

एक अन्य रेलगाड़ी संख्या 12445 नई दिल्ली-श्री माता वैष्णो देवी कटड़ा को भी जाखल-धुरी-लुधियाना के रास्ते से ले जाया गया। रेलगाड़ी संख्या 12472 श्री माता वैष्णो देवी कटड़ा-बांद्रा टर्मिनस को लुधियाना-धुरी-जाखल के रास्ते अपने गंतव्य की ओर भेजा गया। इसी प्रकार रेलगाड़ी संख्या 12920 श्री माता वैष्णो देवी कटडा- डॉ. अंबेडकर नगर को लुधियाना-धुरी-जाखल के रास्ते रवाना किया गया। रेलगाड़ी संख्या 13152 जम्मू तवी-कोलकाता को सनेहवाल-चंडीगढ़-अंबाला के रास्ते अपने गंतव्य की ओर रवाना किया गया।

इन गाड़ियों का रहा रूट डायवर्ट

रेलगाड़ी संख्या 22439 नई दिल्ली श्री माता वैष्णो देवी कटड़ा को अंबाला, चंडीगढ़, न्यू मोरिंडा, सरहिंद के रास्ते से रवाना किया गया। रेलगाड़ी संख्या 22477 नई दिल्ली-श्री माता वैष्णो देवी कटड़ा को अंबाला, चंडीगढ़, न्यू मोरिंडा, सरहिंद, सनेहवाल के रास्ते भेजा गया। इसी प्रकार रेलगाड़ी संख्या 12265 दिल्ली सराय रोहिल्ला-जम्मू तवी को जाखल-धुरी-लुधियाना के रास्ते लाया गया। रेलगाड़ी संख्या 04142 शहीद कैप्टन तुषार महाजन-सफदरगंज को सनेहवाल, चंडीगढ़, अंबाला के रास्ते भेजा गया। रेल गाड़ी संख्या 12470 जम्मू तवी कानपुर को भी सनेहवाल-चंडीगढ़-अंबाला के रास्ते लाया गया।