कश्मीर संभाग के श्रीनगर, अनंतनाग और बारामुला लोकसभा क्षेत्र में 1.13 लाख कश्मीरी पंडित मतदाता हैं। इनके लिए कुल 26 मतदाता केंद्र बनाए गए हैं। इनमें 21 जम्मू, चार दिल्ली और एक उधमपुर जिले में है। चुनाव में कश्मीरी विस्थापितों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए सरकार तीन से 14 अप्रैल तक जम्मू और उधमपुर जिलों में विशेष जागरूकता शिविर आयोजित कर रही है। दिल्ली में भी इस तरह के शिविर के आयोजन की तैयारी है।
राहत एवं पुनर्वास आयुक्त अरविंद कारवानी ने कहा कि कश्मीर संभाग की कुल तीन सीटों में 1.13 लाख पंजीकृत मतदाता हैं। इन सीटों पर तीन चरणों में होने वाले मतदान के लिए हमने जम्मू, दिल्ली व उधमपुर में मतदान केंद्र बनाए हैं। अनंतनाग सीट पर मतदान सात मई को होगा, जबकि श्रीनगर सीट पर 13 और बारामुला सीट पर 20 मई को मतदान है।
प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के लिए मतदान केंद्र समान होंगे। उन्होंने कहा कि प्रवासी मतदाता दो तरह से मतदान कर सकते हैं। पहला एम-फॉर्म भरकरकर विशेष मतदान केंद्र में और दूसरे विकल्प में वह डाक मतपत्रों के माध्यम से मतदान कर सकते है, जिसके लिए उन्हें फॉर्म-12-सी भरना होगा। वे सहायक रिटर्निंग ऑफिसर (एआरओ) से वोट प्राप्त कर सकते हैं और इसे डाक मतपत्र प्रक्रिया के माध्यम से डाल सकते
उन्होंने कहा कि हमने उनके लिए सुविधाएं बनाई हैं और जोनल अधिकारियों और कैंप कमांडेंट को मौके पर ही एम-फॉर्म वितरित करने और सत्यापित करने के लिए अधिकृत किया है। बेंगलुरु, दिल्ली और मुंबई जैसे स्थानों से प्रवासी मतदाता एम-फॉर्म प्राप्त करने के लिए राज्य चुनाव आयोग के पोर्टल का भी उपयोग कर सकते हैं। हम यह सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास कर रहे हैं कि मतदान प्रक्रिया के बारे में जागरूकता मतदाताओं तक पहुंचे।
एम फार्म की अनिवार्यता खत्म करे सरकार
एम फार्म के माध्यम से मतदान का अधिकार मिलने से कश्मीरी पंडित नाखुश हैं। उनका कहना है बार-बार आह्वान के बाद भी सरकार एम फार्म की अनिवार्यता को खत्म नहीं कर पाई है। सरकार के पास कश्मीरी पंडितों का सभी तरह का डेटा है फिर एम फार्म की अनिवार्यता समझ से परे है। सरकार बार-बार कहती है कि कश्मीरी पंडितों का मतदान प्रतिशत कम रहता है। इसका बड़ा कारण एम फार्म है।