हिमाचल प्रदेश की राजधानी हिल्स क्वीन शिमला में आने वाले बाहरी राज्यों के वाहनों को अब शहर में प्रवेश करने पर ग्रीन फीस चुकानी होगी। महापौर सुरेंद्र चौहान की अध्यक्षता में हुई नगर निगम की मासिक बैठक में बाहरी वाहनों से ग्रीन फीस वसूली शुरू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। अब इस पर अंतिम मुहर सरकार की लगेगी। खास बात यह है कि इलेक्ट्रिक वाहनों से यह फीस नहीं ली जाएगी। नगर निगम साल 2015 से ग्रीन फीस वसूली की योजना बना रहा है। लेकिन दस साल से सरकार इसे मंजूरी नहीं दे रही है। इस बार निगम ने नया प्रस्ताव तैयार किया है।
इसके अनुसार न सिर्फ निगम ने ग्रीन फीस की दरें घटाई हैं, बल्कि इसकी वसूली की व्यवस्था का भी नया प्लान तैयार किया है। सदन में प्रस्ताव पेश करते हुए आयुक्त भूपेंद्र अत्री ने कहा कि ग्रीन फीस वसूली का नया प्रस्ताव तैयार किया गया है। इसे अंतिम मंजूरी के लिए सरकार को भेजा जाएगा। शहर के लोग जिनके पास बाहरी नंबर वाली गाड़ियां हैं, वे नगर निगम से प्रमाण पत्र बनाकर इस फीस से बच जाएंगे। ग्रीन फीस वसूली कब से शुरू होगी, इसे न चुकाने पर सैलानियों पर क्या कार्रवाई होगी, एक बार दिया गया शुल्क कितने दिन तक मान्य रहेगा, इस पर सरकार के दिशा-निर्देश के अनुसार फैसला लिया जाएगा। निगम ग्रीन फीस से होने वाली आय पर्यावरण सरंक्षण के कामों में लगाएगा।
नए प्लान के अनुसार शिमला शहर में आने वाली बाहरी राज्यों की गाड़ियों को किसी बैरियर पर रोककर अब फीस की वसूली नहीं होगी। निगम शहर के प्रवेश द्वारों पर हाईटेक कैमरे लगाएगा जिससे सभी वाहनों की आवाजाही पर नजर रहेगी। ये कैमरे बाहरी नंबर वाले सभी वाहनों की पहचान करेंगे। इसके बाद आरटीओ के रिकॉर्ड का इस्तेमाल करते हुए इन वाहनों के मालिकों को मोबाइल पर फीस का मैसेज भेजेंगे। 24 से 48 घंटे के भीतर इस फीस का भुगतान करना होगा। भुगतान न होने पर निगम दोबारा भी अलर्ट मैसेज भेजेगा। फीस का भुगतान ऑनलाइन हो सकेगा। डेबिट, क्रेडिट और नेट बैंकिंग के अलाया क्यूआर कोड से भी शुल्क का भुगतान हो सकेगा। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत तैयार किए गए इंटिग्रेटिड कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम से भी ये कैमरे जुड़ेंगे। निगम ने साल 2014 में भी ग्रीन फीस वसूली शुरू की थी लेकिन फिर बैरियर पर विवाद के चलते इसे बंद कर दिया गया था।