सावन का दूसरा सोमवार व्रत आज

हिंदू धर्म में सावन माह को तपस्या और प्राकृतिक सौंदर्य का प्रतीक माना जाता है। इस माह का प्रत्येक दिन भोलेनाथ की पूजा अर्चना को समर्पित है। मान्यता है सावन में भगवान शिव की आराधना करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। साथ ही मनचाहे परिणामों के भी योग बनते हैं। इस दौरान चातुर्मास होने के कारण माह की महत्ता अधिक बढ़ जाती है। बता दें, चातुर्मास में पूरी सृष्टि का संचालन शंकर जी के हाथों में होता है। ऐसे में सावन सोमवार के व्रत रखने से वैवाहिक जीवन में खुशियां बनी रहती है। इस साल सावन महीने की शुरुआत 22 जुलाई 2024 से हुई थी। इस दिन ही सावन सोमवार का पहला व्रत रखा गया था। ऐसे में सावन का दूसरा व्रत आज यानी 29 जुलाई 2024 को रखा जा रहा है। आज यानी सावन के दूसरे सोमवार पर भरणी नक्षत्र प्रातः 10 बजकर 55 मिनट तक है, उसके बाद से कृत्तिका नक्षत्र है। ऐसे में आइए महादेव की पूजा विधि के बारे में जान लेते हैं। सावन सोमवार के दिन सुबह ही स्नान कर लेना चाहिए। इसके बाद पूजा की सभी सामग्रियों को एकत्रित कर लें। फिर घर में गंगाजल का छिड़काव करें। इसके बाद विधि अनुसार भगवान शिव का अभिषेक करें। धीरे-धीरे उन्हें फल, पुष्प, धूप, बेलपत्र, अक्षत आदि चीजें अर्पित करते रहे। इसके बाद भोलेनाथ के समक्ष घी का दीपक जलाएं। फिर दोनों हाथ जोड़कर शिव जी के मंत्रों का जाप करें। अंत में शिव जी की आरती करना शुरू करें। फिर सुख-समृद्धि की कामना करते हुए शंकर जी का आशीर्वाद लें।

शिवलिंग पर अर्पित करें ये 3 चीजें
  • सावन सोमवार के दिन शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाना चाहिए। ये महादेव को अति प्रिय होता है। मान्यता है कि शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से हर मनोकामना पूरी होती है।
  • भोलेनाथ की पूजा के दौरान जल में चावल मिलाकर शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से आर्थिक समस्याओं का निवारण होता है।
  • सावन सोमवार की पूजा में शिवलिंग पर लौंग अर्पित करने से परिवार में सुख-समृद्धि आती है। माना जाता है कि इससे धन से जुड़ी समस्याएं भी दूर होती हैं।

सावन में भगवान शिव की पूजा करने के लिए कुछ साम्रगियों को जरूर शामिल करना चाहिए। इनमें गंगाजल, तांबे का लोटा, जल, दूध, घी और शहद का नाम शामिल है। इसके अलावा बिल्ब पत्र, शमी पत्र, जनेऊ, धूतरा, भांग, भस्म, इत्र,दूर्वा और मिठाई को भी शामिल करें।

जरूर करें इन मंत्रों का जाप

ॐ नमः शिवाय।
नमो नीलकण्ठाय।
ॐ पार्वतीपतये नमः।

ओम साधो जातये नम:।। ओम वाम देवाय नम:।।
ओम अघोराय नम:।। ओम तत्पुरूषाय नम:।।
ओम ईशानाय नम:।। ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।।

महामृत्युंजय मंत्र
ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
ऊर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।।

भगवान शिव की आरती 
जय शिव ओंकारा ऊँ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥
ऊँ जय शिव…॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे॥
ऊँ जय शिव…॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे॥
ऊँ जय शिव…॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी॥
ऊँ जय शिव…॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥
ऊँ जय शिव…॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता॥
ऊँ जय शिव…॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका॥
ऊँ जय शिव…॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी॥
ऊँ जय शिव…॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे॥
ऊँ जय शिव…॥
जय शिव ओंकारा हर ऊँ शिव ओंकारा।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अद्धांगी धारा॥ ऊँ जय शिव ओंकारा…॥