सीजेआई बोले- इनकी निष्पक्षता और दृढ़ता काबिलेतारीफ

सुप्रीम कोर्ट की जज बेला त्रिवेदी शुक्रवार को सेवानिवृत्त हो गईं। जस्टिस बेला त्रिवेदी की तारीफ करते हुए मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा कि जस्टिस त्रिवेदी निष्पक्ष और अपने फैसलों में दृढ़ रहीं। सीजेआई ने जस्टिस त्रिवेदी के समर्पण की भी तारीफ की। जस्टिस बेला त्रिवेदी जिला अदालत से सुप्रीम कोर्ट जज के पद तक पहुंची, इसकी भी सीजेआई ने तारीफ की।

जस्टिस बेला त्रिवेदी 31 अगस्त 2021 को सुप्रीम कोर्ट की जज नियुक्त हुईं। जस्टिस त्रिवेदी का सुप्रीम कोर्ट में कार्यकाल तीन साल का रहा। बार एसोसिएशन के सदस्यों, अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमाणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी जस्टिस त्रिवेदी की तारीफ की। जस्टिस त्रिवेदी का कार्यकाल 9 जून 2025 तक था, लेकिन निजी कारणों से उनका सुप्रीम कोर्ट में आखिरी कार्यदिवस शुक्रवार रहा। 23 मई से सुप्रीम कोर्ट की छुट्टियां हो जाएंगी। परंपरा के तहत जस्टिस त्रिवेदी के सम्मान में पारंपरिक पीठ में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह के साथ जस्टिस बेला त्रिवेदी को शामिल किया गया। हालांकि जस्टिस त्रिवेदी का विदाई समारोह आयोजित न किए जाने पर सीजेआई ने नाराजगी भी जाहिर की और कहा कि परंपराओं का पालन किया जाना चाहिए।

न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि ‘न्यायमूर्ति त्रिवेदी के पिता भी एक न्यायाधीश थे। इनकी यात्रा दृढ़ता, ईमानदारी और समर्पण की एक कहानी है। जिला न्यायपालिका और प्रशासनिक भूमिकाओं में उनके समृद्ध अनुभव ने उन्हें एक विशिष्ट बढ़त दी। चाहे न्यायिक अधिकारी, विधि अधिकारी या सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में, उन्होंने असाधारण कानूनी अंतर्दृष्टि, निष्पक्षता और प्रबंधन कौशल का प्रदर्शन किया।’ सीजेआई ने गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए उनकी प्रशंसा की। सीजेआई ने कहा कि ‘वे जिला न्यायपालिका से उठने वाली सर्वोच्च न्यायालय की एकमात्र मौजूदा न्यायाधीश हैं, जो एक दुर्लभ और प्रेरणादायक उपलब्धि है।’न्यायमूर्ति त्रिवेदी ने अपने परिवार, सहकर्मियों, कर्मचारियों और संस्थान के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, ‘सिविल कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक की यात्रा सहज, संतुष्टिदायक और सबसे बढ़कर, मेरी अंतरात्मा द्वारा निर्देशित रही है। मैं अपार संतुष्टि और कृतज्ञता के साथ विदा ले रही हूं।