बता दें कि खबर यह आ रही है कि आगामी लोकसभा चुनाव के लिए जहां एक तरफ भाजपा ‘अबकी बार 400 पार, तीसरी बार मोदी सरकार’ का नारा दे चुकी है। वहीं, विपक्षी गठबंधन आई.एन.डी.आई.ए. (I.N.D.I.A.) के बीच सीट शेयरिंग को लेकर उलझन बनी हुई है।
बंगाल,बिहार समेत कई राज्यों में विपक्षी गुटों के बीच सीट शेयरिंग को लेकर उथल पुथल मचा हुआ है। आइए जानते हैं कि किस राज्य में विपक्षी दलों के बीच सीट शेयरिंग को लेकर क्या घमासान मचा हुआ है।
सीट बंटवारे में देरी के चलते घटक दलों का धैर्य जवाब देने लगा है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तीन सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा भी कर दी। बिहार सरकार के मंत्री विजय चौधरी ने विलंब के लिए नाराजगी भी जताई है।
कांग्रेस अध्यक्ष की प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह कहने पर कि सीट बंटवारे पर 15-20 दिनों में बात होगी, जदयू के एक नेता ने कहा कि कांग्रेस क्षेत्रीय दलों को कमजोर कर रही है।
उत्तर प्रदेश में सपा और कांग्रेस के बीच बसपा का पेंच फंसा हुआ है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय मायावती से गठबंधन में शामिल होने के लिए गंभीरता से विचार करने का आग्रह कर रहे हैं और सपा प्रमुख अखिलेश यादव बसपा को जगह देने के लिए बिल्कुल राजी नहीं हैं।
इसी क्रम में मायावती ने अपने विकल्प खुले रखने का बयान देकर कांग्रेस की उलझन के साथ सपा का संदेह भी बढ़ा दिया है। बयानबाजी के बीच विवाद सुलझाने के लिए अभी तक पहल नहीं की जा रही है।
पंजाब में कांग्रेस के साथ आप के तालमेल की संभावना लगभग खत्म हो गई है और दिल्ली में भी भारी जिच है। कांग्रेस 2019 के प्रदर्शन के आधार पर हिस्सेदारी चाहती है। तब पांच सीटों पर वह दूसरे नंबर पर थी। इस आधार पर दिल्ली में कांग्रेस को पांच और आप को दो सीटें मिलनी चाहिए, किंतु आप चार सीटों से कम पर तैयार नहीं है। बातचीत शुरू नहीं हो पाई।
पंजाब में कांग्रेस अपनी जमीन छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। पिछली बार 13 में उसे आठ सीटों पर जीत मिली थी, जबकि आप शून्य पर आउट हो गई थी। बाद में उप चुनाव में एक सीट जीतने से उसका खाता खुला था। कांग्रेस को पंजाब में 36 से 42 प्रतिशत वोट शेयर मिलता रहा है, लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में 17.5 प्रतिशत पर आ गया।