उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस उज्जल भुइंया ने शुक्रवार को केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई को जमकर फटकार लगाई। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत पर फैसला सुनाते हुए जस्टिस भुइंया ने कहा कि केजरीवाल की गिरफ्तारी अनुचित थी। जस्टिस भुइंया ने सीबीआई की आलोचना करते हुए कहा कि उसे पिंजरे में बंद तोता होने की धारणा को दूर करना चाहिए। उन्होंने सीबीआई द्वारा केजरीवाल को गिरफ्तार करने के समय पर सवाल उठाते हुए कहा कि सीबीआई की गिरफ्तारी का उद्देश्य केजरीवाल को जेल से बाहर आने से रोकना था।
ईडी मामले में केजरीवाल को जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शर्त लगाई थी कि उनके सीएम कार्यालय में प्रवेश करने और सरकारी फाइलों पर हस्ताक्षर करने पर रोक रहेगी। इन शर्तों पर जस्टिस भुइंया ने कहा कि मैं न्यायिक अनुशासन के कारण केजरीवाल पर लगाई गई शर्तों पर टिप्पणी नहीं करूंगा क्योंकि यह अलग ईडी मामला था। उल्लेखनीय है कि दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा दिल्ली शराब नीति और इसके क्रियान्वयन से जुड़ी कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच के आदेश के बाद 2022 में आबकारी नीति को खत्म कर दिया गया था। सीबीआई और ईडी के अनुसार, आबकारी नीति को संशोधित करते समय अनियमितताएं की गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया।