सुप्रीम कोर्ट का फैसला: समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता नहीं, लेकिन सिविल यूनियन का अधिकार

सुप्रीम कोर्ट का फैसला: समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता नहीं, लेकिन सिविल यूनियन का अधिकार
सुप्रीम कोर्ट का फैसला: समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता नहीं, लेकिन सिविल यूनियन का अधिकार

सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के मामले में 3-2 से फैसला सुनाया है. बहुमत में आए तीन जजों ने कहा कि समलैंगिक जोड़ों को शादी का कानूनी अधिकार नहीं है. हालांकि, उन्होंने कहा कि समलैंगिक जोड़ों को सिविल यूनियन का अधिकार दिया जा सकता है.
अल्पमत में आए दो जजों ने कहा कि समलैंगिक जोड़ों को शादी का कानूनी अधिकार दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि समलैंगिकता एक प्राकृतिक और शाश्वत स्थिति है और इसे कानून द्वारा प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि स्पेशल मैरिज एक्ट में बदलाव करने का अधिकार केवल संसद के पास है. समलैंगिक साथ रह सकते हैं, लेकिन विवाह को मान्यता नहीं दी जा सकती.

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सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के 3-2 के फैसले में प्रमुख अंतर

समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों (जस्टिस रविंद्र एस भट, जस्टिस हिमा कोहली, जस्टिस पीएस नरसिम्हा) ने बहुमत में अपने फैसले में कहा-
• समलैंगिक जोड़ों को शादी का कानूनी अधिकार नहीं
• समलैंगिक जोड़ों को सिविल यूनियन का अधिकार नहीं
• बच्चों के गोद लेने का अधिकार नहीं दिया जा सकता
• समलैंगिक जोड़ों को अपना पार्टनर चुनने का अधिकार…
• ट्रांसजेंडर पर्सन को शादी का अधिकार
समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के दो जजों (सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस संजय किशन कौल) ने अपने फैसले में कहा
• समलैंगिक लोगों को शादी का कानूनी अधिकार नहीं
• समलैंगिक जोड़ों को सिविल यूनियन का अधिकार
• सुप्रीम कोर्ट ने कहा समलैंगिक जोड़ों को बच्चे गोद लेने का अधिकार
• सुप्रीम कोर्ट ने कहा ट्रांसजेंडर पर्सन को शादी का अधिकार
सुप्रीम कोर्ट के सभी 5 जजों ने इस बात पर सहमति जताई कि केंद्र सरकार की समिति को विस्तृत विचार करना चाहिए. विवाह कोई मौलिक अधिकार नहीं है.
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि समान लिंग वाले जोड़ों के लिए विवाह को मौलिक आधार के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि अदालतें कानून नहीं बनातीं, लेकिन उसकी व्याख्या कर सकती हैं और उसे लागू कर सकती हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश देते हुए कहा कि:
• वस्तुओं और सेवाओं तक पहुंच में कोई भेदभाव नहीं हो.
• किसी भी व्यक्ति को किसी भी हार्मोनल थेरेपी से गुजरने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा.
• समलैंगिक अधिकारों के बारे में जनता को जागरूक करें.
• समलैंगिक समुदाय के लिए हॉटलाइन बनाएं.
• समलैंगिक जोड़े के लिए सुरक्षित घर बनाएं.
• पुलिस स्टेशन में बुलाकर कोई उत्पीड़न नहीं किया जाएगा.
समलैंगिक समुदाय और उनके समर्थकों ने फैसले पर निराशा व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि यह फैसला समलैंगिक लोगों के अधिकारों का हनन है.