सुप्रीम कोर्ट की बात नहीं मान रही सरकार; 4000 रुपये पेंशन क्यों?

केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ‘एनपीएस’ सुधार की बात कही है। उन्होंने ‘पुरानी पेंशन’ का जिक्र नहीं किया। संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा, कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन बहाली का कोई प्रस्ताव केंद्र सरकार के विचाराधीन नहीं है। सरकार, वेतन और पेंशन में संशोधन के लिए 8वें वेतन आयोग के गठन की दिशा में किसी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही। इससे एक बात तो स्पष्ट हो गई है कि अब सरकार ‘ओपीएस’ बहाल नहीं करेगी। एआईडीईएफ के महासचिव और एआईटीयूसी के राष्ट्रीय सचिव सी. श्रीकुमार का कहना है, केंद्रीय बजट, सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की उम्मीदों तक पहुंचने में विफल रहा है। सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से फैसला सुनाया है कि पेंशन कोई इनाम नहीं है, पेंशन कोई अनुग्रह राशि नहीं है, पेंशन कोई ऐसी चीज नहीं है जो नियोक्ता की इच्छा के अनुसार दी जाती है। यह प्रत्येक सरकारी कर्मचारी का मौलिक अधिकार है। सरकार, जिससे आदर्श नियोक्ता बनने की उम्मीद की जाती है, अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी सम्मान नहीं कर रही है।

श्रीकुमार ने कहा, जब केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना की बहाली के लिए संघर्ष कर रहे हैं, तब वित्त मंत्री ने बजट में सरकारी कर्मचारियों से संबंधित ‘ओपीएस’ को लेकर कोई घोषणा नहीं की है। उन्होंने एकमात्र घोषणा, एनपीएस में किए जाने वाले संशोधन के बारे में की है। इनकम टैक्स में भी कोई खास राहत नहीं दी गई है। आठवें वेतन आयोग के गठन की स्थापना आदि जैसी घोषणा भी बजट में शामिल नहीं की गई। केंद्रीय बजट, सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की उम्मीदों तक पहुंचने में विफल रहा है। बजट से सरकारी कर्मचारी ही नहीं, पूरा कर्मचारी वर्ग और उनकी ट्रेड यूनियनें भी पूरी तरह निराश हैं। एक बात जो सरकार आराम से भूल जाती है, वह यह है कि देश का कार्यबल धन का निर्माता है, वे ही हर चीज का उत्पादन करते हैं। जिस पर सरकार जीएसटी एकत्र करती है, जो सरकार के लिए राजस्व का मुख्य स्रोत है, फिर वही कर्मचारी अपनी जरूरतों के लिए बाजार से जो भी सामान खरीदते हैं उस पर जीएसटी चुकाते हैं। इससे भी बढ़कर, वे देश के सच्चे करदाता हैं। यह कार्यबल ही है जो सरकार के लिए राजस्व उत्पन्न करता है। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा वित्त मंत्री को दिए गए सभी प्रस्तावों को आसानी से नजरअंदाज कर दिया गया है। कर्मचारी नेता ने बताया, किसी भी सरकारी कर्मचारी या उनके संगठन ने एनपीएस में सुधार की मांग नहीं की है। उनकी मांग, केवल पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की है।