प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने आगामी अमेरिका दौरे पर संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में भी शिरकत करेंगे। संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक और पीएम मोदी के संबोधन को लेकर संयुक्त राष्ट्र की पूर्व अध्यक्ष मारिया फर्नांडा एस्पिनोसा ने कहा कि मुझे बताया गया है कि 130 देशों के राष्ट्राध्यक्ष सम्मेलन में शामिल होंगे। इससे सम्मेलन की राजनीतिक अहमियत का पता चलता है। सम्मेलन में विभिन्न राष्ट्राध्यक्ष संयुक्त राष्ट्र 2.0 की परिकल्पना और जरूरी सुधारों के लिए प्रतिबद्ध हैं।’
एस्पिनोसा ने कहा कि ‘यह केवल सुरक्षा परिषद नहीं है, बल्कि यह शांति और सुरक्षा वास्तुकला, शांति के लिए नए एजेंडे, महासभा के पुनरोद्धार, अंतरिक्ष और पर्यावरण एजेंडे और जलवायु परिवर्तन की भूमिका के बारे में सोचना है, जो मूल संयुक्त राष्ट्र चार्टर से अनुपस्थित था। यह आज विकासशील देशों की जरूरतों का जवाब देने के लिए अंतरराष्ट्रीय वित्तीय वास्तुकला में सुधार करने के बारे में है।’
भारत द्वारा लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बदलाव की मांग की जा रही है। इस पर पूर्व यूएन अध्यक्ष ने भी भारत का समर्थन करते हुए कहा कि ‘सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग बीते 20 वर्षों से भी ज्यादा समय से हो रही है। भविष्य के समझौतों में सुरक्षा परिषद में सुधार को भी शामिल किया जाना चाहिए औऱ ये सभी का मानना है कि सुरक्षा परिषद में आज की दुनिया दिखनी चाहिए। साथ ही मौजूदा भू-राजनीतिक परिदृश्य भी इसमें दिखना चाहिए। इसमें विभिन्न क्षेत्रों की आवाजों को शामिल किया जाना चाहिए, जो कि पहली संरचना में अनुपस्थित हैं।’
भारत की संसद द्वारा महिला आरक्षण विधेयक को पारित किए जाने पर खुशी जताते हुए मारिया फर्नांडा एस्पिनोसा ने कहा ‘मैं भी आरक्षण की समर्थक हूं और मेरा मानना है कि आरक्षण हमेशा के लिए नहीं होना चाहिए, लेकिन हमें संसद, सरकारों और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में व्यापत असमानता को दूर करने के लिए इसका इस्तेमाल करना चाहिए। महिला नेताओं के समूह वॉयस फॉर चेंज एंड इंक्लूजन (GWL वॉयस) इस दिशा में काम कर रहा है और इसका समर्थन करता है कि हमें अंतरराष्ट्रीय प्रणाली के अहम पदों पर लैंगिक समानता की आवश्यकता है। इसलिए हम महासभा के अध्यक्ष के रूप में अधिक महिलाओं की वकालत कर रहे हैं। महासभा के करीब 80 वर्षों के इतिहास में, महासभा की पहली महिला अध्यक्ष एक भारतीय महिला, विजया लक्ष्मी पंडित थीं। मुझे यह कहते हुए बहुत गर्व हो रहा है कि मैं यह जिम्मेदारी पाने वाली लैटिन अमेरिका की पहली महिला हूं। हम महासभा में अधिक संख्या में महिला अध्यक्षों और संयुक्त राष्ट्र में पहली बार महिला महासचिव की मांग कर रहे हैं।’