हमारी कृषि परंपरा देश की तरह ही प्राचीन’, कृषि अर्थशास्त्रियों के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में PM मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज दिल्ली में कृषि अर्थशास्त्रियों के 32वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन कार्यक्रम में पहुंचे। इस कार्यक्रम में कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी मौजूद रहे। पीएम मोदी ने इस कार्यक्रम में मौजूद कृषि अर्थशास्त्रियों को संबोधित भी किया। उन्होंने बताया कि 65 वर्षों बाद भारत में इस तरह का सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है, जिसे देखकर वह खुश हैं। पीएम मोदी ने कार्यक्रम में मौजूद सभी लोगों को स्वागत किया। उन्होंने बताया कि कृषि को लेकर हमारी परंपराएं हमारे देश की तरह ही प्राचीन है। पीएम मोदी ने सभी का स्वागत करते हुए कहा, 65 साल बाद देश में इस तरह का सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है, इसे देखकर मैं बहुत खुश हूं। इस दुनिया के विभिन्न देशों से आपलोग यहां आए हैं। मैं 12 करोड़ भारतीय किसानों, तीन करोड़ भारतीय महिला किसानों और तीन करोड़ मछुआरों की तरफ से आपका स्वागत करता हूं। आज आप उस देश में हैं, जहां 55 करोड़ पशु रहते हैं। आप सभी का कृषि प्रधान और पशु प्रेमी देश में स्वागत है। उन्होंने आगे कहा, “भोजन और कृषि के बारे में हमारी परंपराएं और अनुभव हमारे देश की तरह ही प्राचीन हैं। भारत में कृषि परंपरा में विज्ञान को प्राथमिकता दी जाती है।”

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “भारत में कृषि से जुड़ी शिक्षा और अनुसंधान से जुड़ा एक मजबूत इकोसिस्टम बना हुआ है। इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च के ही 100 से ज्यादा रिसर्च संस्थान हैं। भारत में कृषि और उससे संबंधित विषयों की पढ़ाई के लिए 500 से ज्यादा कॉलेज हैं। भारत में 700 से ज्यादा कृषि विज्ञान केंद्र हैं जो किसानों तक नई तकनीक पहुंचाने में मदद करते हैं।” उन्होंने आगा कहा, “पिछली बार जब आईसीएई सम्मेलन भारत में हुआ था वो भारत की कृषि और खाद्य सुरक्षा को लेकर चुनौतीपूर्ण समय था। भारत को नई-नई आजादी मिली थी। आज भारत एक खाद्य अधिशेष वाला देश है। आज भारत दूध, दाल और मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक है। आज भारत वैश्विक खाद्य सुरक्षा और वैश्विक पोषण सुरक्षा के समाधान देने में जुटा है।” कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री की सराहना की। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के नतृत्व में कृषि के क्षेत्र में भारत का विकास दर दुनिया में शीर्ष पर है। उत्पादन बढ़ाना चाहिए, लेकिन भारत हमेशा सुरक्षित उत्पादन को लेकर चिंतित रहा है। मानव शरीर, पृथ्वी के स्वास्थ्य और मिट्टी के लिए भारत जैविक खेती पर ध्यान दे रहा है।