अगर हौसला बुलंद हो तो कुछ भी किया जा सकता है। ऐसे ही कहानी सामने आ रही है। ओडिशा के पिछड़े इलाके ढेंकनाल की 15 वर्षीय वेटलिफ्टर प्रीतिस्मिता भोई ने पेरू की राजधानी लीमा में इतिहास रच दिया। विश्व युवा वेटलिफ्टिंग बैंपियनशिप में उन्होंने विश्व रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक जीता। प्रीतिस्मिता ने 40 किलो भारवर्ग में कुल 133 (57+76) किलो वजन उठाया। उन्होंने क्लीन एंड जर्क में 76 किलो वजन उठाकर 75 किलो का विश्व कीर्तिमान ध्वस्त कर दिया। ओडिशा की ही ज्योशना साबर ने इसी भारवर्ग में कुल 125 किलो वजन के साथ रजत पदक जीता।
विश्व रिकॉर्ड बनाने वाली पहली युवा मीराबाई चानू के बाद दूसरी और युवा वर्ग में विश्व कीर्तिमान बनाने वाली प्रीतिस्मिता देश की पहली वेटलिफ्टर हैं। चानू सीनियर वर्ग में क्लीन एंड जर्क का विश्व रिकॉर्ड बना चुकी हैं।
मां ने संघर्षों से पाला
दो साल की उम्र में उठा पिता का साया, कोच ने स्कूल में दौड़ते देखा तो मां से गुहार लगा बनाया वेटलिफ्टर प्रीतिस्मिता सिर्फ दो साल की थीं, जब उनके सिर से पिता का साया उठ गया। मां के ऊपर मुसीबतों को पहाड़ टूट पड़ा। उन्होंने दोनों बेटियों को संघर्षों के साथ पिता बनकर पाला और ढेंकनाल के केंद्रीय विद्यालय में दाखिला कराया। यहीं कोच गोपाल कृष्ण दास ने दोनों बहनों को स्कूल मीट में दौड़ते देखा तो उन्हें वेटलिफ्टर बनाने का फैसला किया। दोनों ने ही चार वर्ष के अंदर परिणाम देने शुरू कर दिए हैं।
बहन भी राष्ट्रीय पदक विजेता
गोपाल बताते हैं कि वह केंद्रीय विद्यालय की स्कूल मीट में गए थे। यहां दो बहनें बड़ी विदुस्मिता और छोटी प्रीतिस्मिता 100, 400 मी. दौड़ में पहले और दूसरे स्थान पर आ रहीं थीं। उन्हें लगा दोनों को लिफ्टर बनाया जा सकता है। तब उन्होंने उनकी मां जमुना देवी से बात की। वह तैयार नहीं हुई कि वजन उठाने वाले खेल में उनकी बेटियों आएं। काफी समझाने के बाद वह तैयार हो गईं। विदुस्मिता भी राष्ट्रीय यूथ वेटलिफ्टिंग, खेलो इंडिया में पदक जीत चुकी हैं।