2014 में नेकां ने भाजपा से सरकार बनाने की थी गुजारिश, उमर बगैर शर्त भाजपा के साथ सरकार बनाने को थे तैयार

जम्मू
विनोद कुमार

नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी के घमासान के बीच जुबानी दंगल में भाजपा को भी शामिल होना पड़ा है। नेकां और पीडीपी एक दूसरे पर भाजपा के हिमायती होने का आरोप लगा रही है, लेकिन भाजपा ने नेकां का पर्दाफाश कर दिया है। भाजपा ने वकायदा पत्रकारवार्ता की बताया कि 2014 के चुनावी नतीजों के बाद उमर अब्दुल्ला ने तब के भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह और पार्टी के आला नेता राममाधव से मुलाकात कर बिना किसी शर्त के समर्थन की गुजारिश की थी।
अक्तूबर 2021 में अब्दुल्ला खानदान के करीबी माने जाने वाले और नेकां को छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले पार्टी के आला नेता देवेंद्र सिंह राणा का कहना है कि उमर अब्दुल्ला के प्रयास के दौरान वो भी हिस्सा थे। उनकर कहना थाकि नेकां आज भाजपा और पीडीपी से गठजोड़ का आरोप लगा रही है 2014 में सत्ता और सरकार का हिस्स बनने के लिये नेकां नत्मस्तक हो गई थी। उमर अब्दुल्ला अपने 15 विधायकों को बीजेपी को समर्पित करने को तैयार थे। राणा ने बताया कि भाजपा नेताओं ने उमर की गुजारिश को सिरे से खारिज कर दिया है।
उमर अब्दुल्ला का आरोप है कि पीडीपी और भाजपा के बीच अंदर खाते में बातचीत चल रही है। उन्होंने चुनाव प्रभारी राम माधव को बातचीत का सूत्रधार बताया है। वहीं पीडीपी अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफती का कहना है कि नेकां पहली पार्टी है, जिसने सबसे पहले भाजपा से हाथ मिलाया। पोटा जैसे सख्त कानून को रियासत में लागू किया और स्वायत्ता के प्रस्ताव को रद्दी की टोकरी में फैंकने पर भी उमर भाजपा की अगुवाही वाली एनडीए सरकार का हिस्सा बने रहे। लिहाजा नेकां ने सबसे पहले भाजपा से हाथ मिलाया है।
देवेंद्र सिंह राणा ने यह भी बताया कि प्रयास सिर्फ उमर अब्दुल्ला ने ही नहीं किया। फारूक अब्दुल्ला की तरफ से भी प्रयास किया गया। मुफ्ती सैयद के देहांत के बाद फारूक अब्दुल्ला ने कटड़ा में पत्रकारवार्ता में भाजपा को खुला न्यौता दिया था, जिसको भी भाजपा ने स्वीकार नहीं किया था। उन्होंने बताया कि भाजपा ने पहले भी कभी नेकां के साथ गठजोड़ को स्वीकारा है और आगे भी ऐसा नहीं करेगी।