माफिया अतीक ने अपने विरोधी एखलाक हुसैन को जेल में जहर देकर मरवाने का प्रयास किया था। एखलाक के भाई की हत्या के बाद के बाद उसे साजिशन फंसाया और जेल भिजवाया दिया।
करीब 22 साल बाद सलाखों से बाहर आए एखलाक ने कहा कि माफिया अतीक ने उसे जेल में जहर दिलवाया। जज से शिकायत करने पर हाईकोर्ट जाने के लिए कहा गया। आर्थिक तंगी के कारण वह कुछ नहीं कर पाया और जेल में ही रहा।
नैनी जेल से कुछ दिन पहले बाहर आए नवाबगंज निवासी एखलाक ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का धन्यवाद भी दिया। बताया गया है कि माफिया अतीक पर कचहरी के पास बम से हमला हुआ था। हमले के आरोप में पुलिस ने एखलाक को पकड़कर पूछताछ की तो कहानी में नया मोड़ आ गया।
अतीक ने ही खुद पर करवाया था हमला
आरोपित ने कहा कि अतीक ने ही बम से हमला करवाया था। पुलिस के मुताबिक, 1986 में पंजीकृत जानलेवा हमले के मुकदमे में एखलाक का भाई अख्तर जेल गया था, जहां उसकी मुलाकात चांद बाबा से हुई थी। तीन साल बाद चांद बाबा की खुल्दाबाद क्षेत्र में हत्या कर दी गई, जिसमें अतीक व उसके साथी अभियुक्त बने।
इसके बाद अख्तर ने अपने साथी जग्गा के साथ मिलकर चांद बाबा की हत्या का बदला लेने के लिए अतीक पर हमला किया, लेकिन वह बच गया। वर्ष 1990 में अतीक के साथियों ने जग्गा की हत्या कर दी।
वर्ष 1992 में सपा कार्यकर्ता विनोद शर्मा की हत्या हुई, जिसमें एखलाक को नामजद किया गया। इसके दो साल बाद जुबैर व अहमद रजा की हत्या का आरोप एखलाक व अख्तर पर लगा, जिन्हें नवाबगंज पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा।
वर्ष 1995 में दोनों भाई पेशी पर तो अतीक के गुर्गों ने हमला किया, जिसमें अख्तर की गोली लगने से मौत हो गई। इसके बाद घटना में शामिल बसंतु पासी, बुधई, असफाक की पुलिस मुठभेड़ में मौत हुई।
एखलाक जमानत पर बाहर आ गया। इसके बाद वर्ष 2002 में एखलाक ने अतीक पर बम से हमला किया, लेकिन वह बच निकला था। पुलिस रिकार्ड में हिस्ट्रीशीटर एखलाक के खिलाफ नवाबगंज व नैनी थाने में 14 मुकदमे हैं।