भारतीय इक्विटी बाजार में जारी बिकवाली के कारण बीते पांच महीनों में निवेशकों की 94 लाख करोड़ रुपये की स्वाहा हो गई। सितंबर 2024 के अपने ऑल टाइम हाई से सेंसेक्स और निफ्टी दोनों 16% तक गिर गए। 2025 में ही बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी 7% तक गिर गए हैं। इससे इसी साल में निवेशकों को करीब 62 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो गया। 28 फरवरी को बाजार बंद होने के बाद बीएसई पर सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण घटकर 384 लाख करोड़ हो गया। सितंबर 2024 में अपने ऑल टाइम हाई पर बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 478 लाख करोड़ रुपये था।
फरवरी 2025 कोविड-19 महामारी के बाद से भारतीय शेयर बाजार के लिए सबसे खराब महीना रहा। इस दौरान इक्विटी बेंचमार्क सूचकांक लगभग 6% तक गिर गए और निवेशकों को ₹40 लाख करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा। 50 शेयरों का बेचमार्क सूचकांक निफ्टी फरवरी 2025 के 20 कारोबारी सत्रों में पांच मौकों को छोड़कर लगातार नकारात्मक दायरे में बंद हुआ। इस दौरान लगातार बाजार में मंदी की भावना दिखी। इस अवधि में निफ्टी 50 1,357 अंक या 5.9% तक कमजोर हो गया। दूसरी ओर, सेंसेक्स में 4,300 अंक या 5.5% की गिरावट दर्ज की गई। बीते कुछ समय में भारतीय बाजार पर विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की ओर से लगातार बिकवाली और अमेरिकी टैरिफ चिंताओं के बीच बढ़ती आर्थिक अनिश्चितता का प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
सितंबर में ऑल टाइम हाई को छूटने के बाद अक्तूबर की शुरुआत से ही घरेलू शेयर बाजार में बिकवाली का दबाव देखा गया। शुक्रवार को बाजार के लाल निशान पर बंद होने के साथ ही लगतार पांचवें महीनें में बाजार ने गिरावट का अनुभव किया। ऐसा 29 साल में पहली बार हुआ। 1996 के बाद यह पहली बार है जब निफ्टी 50 ने लगातार पांच महीनों तक नुकसान दर्ज किया। यह यह एक दुर्लभ घटना है। जुलाई 1990 में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) बेंचमार्क लॉन्च होने के बाद से ऐसा केवल दो बार हुआ है। निफ्टी ने 1995 में अपना सबसे खराब मासिक प्रदर्शन दर्ज किया था। उस समय जब बेंचमार्क इंडेक्स में सितंबर 1995 से अप्रैल 1996 तक आठ महीनों की सबसे लंबी गिरावट दर्ज की गई थी। इस अवधि में निफ्टी 31% तक गिर गया था। इसके बाद 1996 में जुलाई से नवंबर के बीच लगातार पांच गिरावट दर्ज की गई। इस अवधि में सूचकांक 26% तक फिसल गया था। इसके बाद तीन मौकों पर बाजार में लगातार चार महीने तक गिरावट दर्ज की गई। इस दौरान अक्तूबर से जनवरी 1991, मई से अगस्त 1998 और जून से सितंबर 2001 के बीच गिरावट दर्ज की गई।क्या है बाजार में लगातार गिरावट का कारण टैरिफ से जुड़े ट्रंप के एलान और व्यापार युद्ध की आशंकाअमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारत सहित अन्य व्यापारिक साझेदारों पर पारस्परिक कर लगाने की की घोषणा ने अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल को बढ़ावा दिया है। इस कारण वैश्विक निवेशक उभरते बाजारों से अपने पैसे निकाल कर डॉलर से जुड़ी मूल्यवान परिसंपत्तियों में निवेश कर रहे हैं। जिससे भारत समेत अन्य उभरते बाजारों को बिकवाली का सामना करना पड़ा है। पिछले सप्ताह, रुपया डॉलर के मुकाबले अपने सबसे निचले स्तर 87.95 पर पहुंच गया। केवल इसी साल रुपये में अब तक अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले 4.65% की गिरावट दर्ज की गई है। फरवरी में रुपये में भी लगातार पांचवें महीने में गिरावट दर्ज की गई। यह गरावट ट्रम्प की ओर से सभी स्टील और एल्युमीनियम आयातों पर 25% टैरिफ की घोषणा करने करने और उसके बाद व्यापार युद्ध की आशंका बढ़ने के कारण है।
ऐसे समय में जब घरेलू बाजार ट्रंप की टैरिफ धमकियों, आर्थिक विकास में मंदी और कमजोर आय से प्रभावित हुआ, विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली ने भी भारतीय इक्विटी को नीचे लाने में आग में घी का काम किया। विदेशी निवेशकों की बिकवाली पिछले साल अक्तूबर में मूल्यांकन से जुड़ी चिंताओं और आर्थिक विकास में मंदी के बीच शुरू हुई थी।यह 2025 में तेज हो गई जब अमेरिकी सरकार ने कनाडा, मैक्सिको और चीन के खिलाफ टैरिफ का एलान किया। इससे वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका बढ़ गई। 28 फरवरी को, एफआईआई ने ₹11,639 करोड़ मूल्य के भारतीय शेयर बेचे, महीने के दौरान उनकी एक दिन की सबसे बड़ी बिकवाली रही। फरवरी महीने में कुल ₹34,574 करोड़ रुपये की निकासी विदेशी निवेशकों ने कही है। विदेशी निवेशक पिछले साल सितंबर से ₹1 लाख करोड़ से अधिक की निकासी कर चुके हैं।चीन की ओर से अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की कोशिशेंचीन की सरकार कोविड महामारी के बाद अपने देश की अर्थव्यवस्था को एक बार फिर से पटरी पर लाने की कोशियों में जुट गई है। इसके लिए सरकार की ओर से कई पहल किए गए हैं। उद्योगों के हित में कई नई घोषणाओं के बाद चीनी इक्विटी में वैश्विक निवेशकों को बड़े मौके दिख रहे हैं। इसे देखते हुए वे अपना पैसा भारत जैसे बाजार से निकाल कर वहां डाल रहे हैं, इससे भारतीय इक्विटी को नुकसान हो रहा है। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा, “अगर चीनी सरकार की नई पहलों को एफआईआई से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलती है, तो इसका मतलब है कि भारतीय बाजार पर दबाव बढ़ेगा और हैंग सेंग एक्सचेंज के जरिए चीनी शेयरों में और अधिक पैसा आएगा।” हालांकि जानकारों का मानना है कि भारतीय शेयरों, विशेष रूप से मिड और स्मॉल-कैप के उच्च मूल्यांकन के कारण एफआईआई भले ही बिकवाली करें लेकिन, हालांकि, अच्छी बात यह है कि भारत में लार्ज-कैप का उचित मूल्यांकन है, जो इस सेगमेंट में खरीदारी को आगे भी आकर्षित करना जारी रख सकता है।
वैश्विक बाजारों में गोल्ड फ्चूचर और हाजिर सोने की कीमतों में बीते कुछ महीनों में बड़ा उछाल दिखा। सोना लगातार अपने ऑल टाइम हाई के आसपास कारोबार कर रहा है। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में, हाजिर सोना 24 फरवरी, 2025 को 2,956.37 डॉलर प्रति औंस के सर्वकालिक उच्च स्तर को छू गया। 2024 में सोने की कीमतों में 27% मजबूती दर्ज की गई और 2025 में अब इस में 10.3% का उछाल आ चुका है। आईसीआईसीआई बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, स्थानीय सोने की कीमतें पहली छमाही में 90,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर तक पहुंचने की उम्मीद है। दिसंबर 2025 तक इसकी कीमतें 95,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर तक पहुंचने की उम्मीद है। सोने की कीमतों में लगातार इजाफा भारतीय इक्विटी पर भी नकारात्मक असर डाल रहा है, क्योंकि लोग सुरक्षित निवेश की संभावना को देखते हुए इक्विटी से निकल कर सोने का रुख कर रहे हैं। भारतीय शेयर बाजार पर आगे के लिए क्या अनुमान है?भारतीय अर्थव्यवस्था में वित्तीय वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही का जीडीपी अनुमान दलाल स्ट्रीट की उम्मीदों के अनुरुप रहना बाजार को अस्थायी राहत प्रदान कर सकता है। दिसंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि 6.2% दर्ज की गई। यह मुख्य रूप से सरकार की ओर से उच्च खपत से प्रेरित रही। इस दौरान पूंजी निर्माण पिछली तिमाही की तुलना में स्थिर रहा। पूरे वित्तीय वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि दर 6.5% आंकी गई है। ऐसा तब संभव है जब चौथी तिमाही की वृद्धि दर 7.6% या उससे अधिक रहे। हालांकि फिलहाल यह एक लंबा लक्ष्य प्रतीत होता है। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, “जीडीपी के ताजा आंकड़े संकेत देते हैं कि भारत में आर्थिक वृद्धि फिर से बढ़ रही है। अगर कॉरपोरेट आय भी इसी तरह बढ़ती है तो बाजार में उछाल आएगा और एफआईआई के एक बार फिर खरीदार बनने सकते हैं।” कोटक सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष (तकनीकी अनुसंधान) अमोल अठावले ने कहा कि अल्पकालिक कारोबारियों के लिए निफ्टी और सेंसेक्स के लिए क्रमश: 22,200 और 73,500 महत्वपूर्ण स्तर होंगे।