’30 साल पहले मैंने हथियार छोड़ दिए, अब मैं गांधीवादी हूं’ – यह बयान तिहाड़ में उम्रकैद की सजा काट रहे यासीन मलिक का हलफनामा है।

यासीन मलिक ने 1988 में जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) की स्थापना की थी, जो एक अलगाववादी संगठन है जिसका उद्देश्य कश्मीर की स्वतंत्रता था। इस संगठन के साथ, उन्होंने 1990 में श्रीनगर के रावलपुरा में भारतीय वायुसेना के चार कर्मियों की हत्या में भूमिका निभाई थी ¹। यह घटना एक बड़ी सनसनी फैलाने वाली थी और इसके परिणामस्वरूप कई लोगों की जान गई थी।

टेरर फंडिंग के मामले में दिल्ली की तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे जम्मू और कश्मीर लिबरेशन फ्रंट-यासीन (जेकेएलएफ-वाई) के अध्यक्ष यासीन मलिक ने खुद को गांधीवादी बताया है। मलिक ने अपने संगठन पर प्रतिबंध की समीक्षा करने वाले यूएपीए न्यायाधिकरण को बताया कि उन्होंने 1994 से ही हथियार और हिंसा छोड़ दी है और अब वे गांधीवादी विचारों का पालन कर रहे हैं।

न्यायाधिकरण को दिए अपने हलफनामे में मलिक ने दावा किया कि उन्होंने 1994 में “संयुक्त स्वतंत्र कश्मीर” की स्थापना के लक्ष्य को हासिल करने के लिए जेकेएलएफ-वाई के माध्यम से सशस्त्र संघर्ष को छोड़ दिया था। अब, अपने विरोध और प्रतिरोध के लिए उन्होंने गांधीवादी तरीके अपनाए हैं।