- इस समय रमजान का पाक महीना चल रहा है। रमजान इस्लामिक कैलेंडर का नौवां महीना होता है। इसे माह-ए-रमजान भी कहा जाता है। मुस्लिम समुदाय के लोग रमजान के महीने में रोजा रखते हैं। रोजा के दौरान लोग सहरी करने के लिए सुबह सूर्योदय से पहले उठते हैं और शाम को इफ्तार साथ अपना उपवास तोड़ते हैं। यानी इस पूरे महीने में मुसलमान लोग सूरज निकलने से लेकर डूबने तक कुछ भी नहीं खाते पीते हैं। साथ में महीने भर इबादत करते हैं और अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। महीने के आखिरी दिन ईद-उल-फितर यानी ईद मनाई जाती है। एक महीने तक रोजा रखने के बाद ईद के इंतजार की खुशी अलग ही होती है। हालांकि ईद मनाने की तारीख चांद दिखने के हिसाब से ही मुकम्मल की जाती है। जिस दिन चांद दिखता है, उस दिन को चांद मुबारक कहा जाता है और ईद मनाई जाती है। सऊदी अरब में सबसे पहले ईद की तारीख का एलान किया जाता है। ऐसे में चलिए जानते हैं इस साल भारत में ईद कब मनाई जाएगी…
ईद-उल-फितर 2024 कब है?
इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार ईद 10वें शव्वाल (महीने) की पहली तारीख को मनाई जाती है। जो इस साल 10 अप्रैल को पड़ रही है, लेकिन इस्लाम धर्म को मानने वाले लोग अपना त्योहार चांद को देखकर मनाते हैं। ऐसे में ईद का चांद नजर आने के बाद ही ईद-उल-फितर की सही तारीख मुकर्रर की जाएगी। फिलहाल 10 या 11 अप्रैल को ईद का त्योहार मनाए जाने की उम्मीद है।
ईद-उल-फितर का महत्व
इस्लाम धर्म को मानने वाले लोगों के लिए ईद का त्योहार बेहद खास होता है। ये अल्लाह का शुक्रिया अदा करने का दिन होता है। मुस्लिम समुदाय के लोग खुशी और जश्न के साथ ईद मनाते हैं। ईद-उल-फितर को छोटी ईद और मीठी ईद भी कहा जाता है। इस्लामिक कैलेंडर में रमजान का महीना नौवां महीना होता है। वहीं दसवां महीना शव्वाल है। शव्वाल के पहले दिन दुनिया भर में ईद-उल-फितर यानी ईद मनाई जाती है। शव्वाल का अर्थ है, ‘उपवास तोड़ने का त्योहार।’ इस दिन एक महीने तक रोजा रखने के बाद लोग उपवास तोड़ते हैं और त्योहार का जश्न मनाते हैं।
ईद-उल-फितर का इतिहास
मान्यता है कि सबसे पहली ईद सन् 624 ईस्वी में पैगंबर मुहम्मद ने मनाई थी। इस दिन पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब ने बद्र के युद्ध में जीत हासिल की थी। इस खुशी में ईद मनाई जाती है। मोहम्मद साहब ने कुरान में दो पवित्र दिन को ईद के लिए निर्धारित किया था। इस तरह से साल में दो बार ईद मनाई जाती है, जिसे ईद-उल-फितर और ईद-उल-अजहा के मान से जाना जाता है। इस्लामिक प्रथा के अनुसार ईद की नमाज अदा करने से पहले हर मुस्लिम व्यक्ति को दान देना जरूरी होता है।