मोदी सरकार साल 2014 से अब तक कुल 12 बजट पेश कर चुकी है। इन 12 बजट में पहले और दूसरे कार्यकाल के दौरान चुनावी वर्ष में पेश किए गए दो अंतरिम बजट भी शामिल हैं। पहले कार्यकाल में पांच बार तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट पेश किया था। वहीं, 2019 में लोकसभा चुनाव होने के कारण फरवरी 2019 में अंतरिम बजट पेश किया गया और फिर जुलाई 2019 में पूर्ण बजट पेश किया गया। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को मोदी सरकार का 13वां बजट पेश करेंगी। यह पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री के रूप में सीतारमण का सातवां बजट होगा। मोदी सरकार में पेश किए गए अब तक बजट में जहां एक ओर अंग्रेजों के समय से इसके साथ जुड़ी कई परंपराओं को तोड़ा गया, वहीं आम से खास तक के लिए कई बड़े एलान और बदलाव किए गए हैं। मोदी सरकार साल 2014 से अब तक कुल 12 बजट पेश कर चुकी है। पहले कार्यकाल में पांच बार तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट पेश किया था। वहीं, 2019 में लोकसभा चुनाव होने के कारण फरवरी 2019 में अंतरिम बजट पेश किया गया। तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली के अस्वस्थ रहने के कारण इसे केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने पेश किया था। फिर जुलाई 2019 में पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पूर्ण बजट पेश किया। 2014 के बाद से अब तक मोदी सरकार की ओर से पेश किए गए बजट में करदाताओं से जुड़े एलानों के साथ-साथ रेल, एफडीआई समेत कई बड़ी घोषणाएं की गईं।
- 2014 का बजट (वित्त मंत्री: अरुण जेटली)
2014 में लोकसभा चुनाव होने के कारण फरवरी में अंतरिम बजट पेश हुआ और चुनाव जीतने के बाद जब मोदी सरकार सत्ता में आई तो तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जुलाई 2014 में पूरा आम बजट पेश किया। 2014 के बजट की प्रमुख बातों की बात करें तो टैक्स छूट सीमा को 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये किया गया। इसके अलावा वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा 2.5 लाख रुपये से बढ़कर 3 लाख रुपये की गई। इसके अलावा सेक्शन 80(सी) के तहत टैक्स डिडक्शन की लिमिट 1.1 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये की गई थी। - 2015 का बजट (वित्त मंत्री: अरुण जेटली)
साल 2015 के बजट में सबसे बड़ा एलान करते हुए तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वेल्थ टैक्स को खत्म किया। 1 करोड़ रुपये से अधिक की सालाना आय वाले इंडिविजुअल्स पर सरचार्ज 10 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी किया। इसके अलावा दूसरी प्रमुख घोषणाओं पर नजर डालें तो सुकन्या समृद्धि योजना में निवेश पर मिलने वाले ब्याज को टैक्स फ्री करने का एलान किया गया। एनपीएस में निवेश पर 50 हजार रुपये की टैक्स छूट की घोषणा भी हुई तो बीमा क्षेत्र को लाभ देते हुए वित्त मंत्री ने व्यक्तिगत हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर टैक्स डिडक्शन लिमिट 15 हजार रुपये से बढ़कर 25 हजार रुपये की थी। - 2016 का बजट (वित्त मंत्री: अरुण जेटली)
मोदी सरकार के 2016 के बजट के प्रमुख बिंदुओं की बात करें तो 5 लाख से कम आय वालों के लिए टैक्स रिबेट 2000 से बढ़ाकर 5000 रुपये किया गया। घर का किराया देने वालों के लिए सेक्शन 80जीजी के तहत टैक्स छूट को 24,000 से बढ़ाकर 60,000 रुपये किया गया। इस बजट में भी वित्त मंत्री ने 1 करोड़ रुपये से अधिक सालाना आय वाले इंडिविजुअल्स पर सरचार्ज 3 फीसदी की और बढ़ोतरी करते हुए 15 फीसदी कर दिया। - 2017 का बजट (वित्त मंत्री: अरुण जेटली)
इस साल भारत के इतिहास में पहली बार आम बजट और रेल बजट एक साथ पेश हुआ। इसके अलावा वित्त मंत्री अरुण जेटली ने करदाताओं को 12,500 रुपये का टैक्स रिबेट दिया। 2.5 लाख से 5 लाख रुपये तक की इनकम के लिए इनकम टैक्स रेट को 10 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी किया। इसके अलावा बजट में प्रावधान किया गया था कि राजनीतिक पार्टियां सिर्फ 2 हजार रुपये तक ही कैश में चंदा ले सकेंगी। - 2018 का बजट (वित्त मंत्री: अरुण जेटली)
इस साल के बजट में वेतनभोगी करदाता को 40,000 रुपये की मानक कटौती का लाभ देने का प्रस्ताव किया। सेस 3 फीसदी से बढ़ाकर 4 फीसदी कर दिया। वरिष्ठ नागरिकों की 50,000 रुपये तक की ब्याज इनकम को टैक्स छूट प्रदान की गई, जो कि इससे पहले 10,000 रुपये थी। इक्विटीज से 1 लाख रुपये से अधिक के लांग टर्म कैपिटल गेन्स (एलटीसीजी) पर 10 फीसदी टैक्स लगाया गया। 250 करोड़ रूपये तक के एमएसईएम के कारोबार पर टैक्स स्लैब 25 फीसदी किया गया। इनकम टैक्स स्लैब में इस बार भी बदलाव नहीं हुआ। - 2019 का अंतरिम बजट (कार्यवाहक वित्त मंत्री: पीयूष गोयल)
साल 2019 में आम चुनाव होने के कारण अंतरिम बजट पेश किया गया। तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अस्वस्थता के इस बजअ को केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने पेश किया। मोदी सरकार अपने पहले कार्यकाल के आखिरी बजट में हर तबके पर मेहरबान हुई। मिडिल क्लास और किसान इस बजट के केंद्र में हैं। असंगठित क्षेत्र के मजदूरों सम्मान देते हुए हर महीने पेंशन देने का एलान किया गया है। मजदूरों को 3000 रुपये की मासिक पेंशन मिलेगी। वित्तमंत्री ने मिडिल क्लास को भी ईमानदारी का ईनाम देते हुआ आयकर की सीमा को दोगुनी करते हुए पांच लाख कर दिया है। अब पांच लाख तक की आय कर मुक्त होगी। एचआरए में भी इजाफा कर इसे 2.40 लाख रुपये तक पहुंचा दिया गया है। - 2019 का बजट (वित्त मंत्री: निर्मला सीतारमण)
2019 में पहले अंतरिम बजट पेश किया गया जिसमें टैक्स रिबेट की लिमिट 2500 रुपये से बढ़ाकर 12500 रुपये हो गई। स्टैंडर्ड डिडक्शन को 40000 रुपये से बढ़ाकर 50000 रुपये किया गया। इसके साथ ही किराए पर टीडीएस की सीमा को 1.80 लाख रुपये से बढ़ाकर 2.40 लाख रुपये कर दिया गया। इसके अलावा बैंक या डाकघरों में जमा पर आने वाले 40000 रुपये तक के ब्याज को टैक्स फ्री किया गया। इसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पूर्ण आम बजट पेश किया। इसमें 2 से 5 करोड़ आमदनी पर सरचार्ज 3 फीसदी और 5 करोड़ से ज्यादा की आय पर सरचार्ज 7 फीसदी बढ़ाया गया। होम लोन पर चुकाए जाने वाले ब्याज पर सेक्शन 80ईईए के तहत 1.5 लाख रुपये तक का अतिरिक्त डिडक्शन प्रस्तावित किया गया। चालू खाते में एक करोड़ रुपये से अधिक जमा करने, एक साल में विदेश यात्रा पर दो लाख रुपये खर्च करने, एक लाख रुपये से अधिक बिजली बिल का भुगतान करने वालों के लिए आईटीआर दाखिल करना अनिवार्य किया गया। - 2020 का बजट (वित्त मंत्री: निर्मला सीतारमण)
साल 2020 के बजट में वैकल्पिक आयकर स्लैब्स की घोषणा की गई। अब करदाताओं को पुराना परंपरागत इनकम टैक्स स्लैब और नया वैकल्पिक टैक्स स्लैब दोनों उपलब्ध हैं। कंपनियों और म्यूचुअल फंड्स की ओर से दिए जाने वाले डिविडेंड पर डीडीटी को खत्म किया गया। सस्ते मकान की खरीद के लिए सेक्शन 80ईईए के तहत 1.5 लाख रुपये तक की अतिरिक्त कटौती को एक साल बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया। 75 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग जो केवल पेंशन और जमा से होने वाली ब्याज आय पर निर्भर हैं, उन्हें इनकम टैक्स रिटर्न न भरने की सहूलियत दी गई। - 2021 का बजट (वित्त मंत्री: निर्मला सीतारमण)
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 के बजट के जरिए न्यू इंडिया का खाका देश के समक्ष रखा। स्टार्टअप कंपनियों के लिए टैक्स होलीडे को एक साल के लिए बढ़ाया जाता है। स्टार्टअप में निवेश से होने वाले पूंजीगत लाभ पर छूट को एक और साल के लिए बढ़ाया गया। सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में ग्रामीण क्षेत्र में इन्फ्रा सेक्टर के विकास के लिए आवंटन को बढ़ाकर 40,000 करोड़ रुपये कर दिया है। वित्त मंत्री ने पांच प्रमुख फिशिंग हब बनाने की घोषणा की है। बीपीसीएल, एयर इंडिया, शिपिंग कॉर्प, कंटेनर कॉर्प के विनिवेश 2021 के अंत तक पूरे किए जाने की बात कही। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इंश्योरेंस सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की सीमा को 49 फीसद से बढ़ाकर 74 फीसद करने की घोषणा की। - 2022 का बजट (वित्त मंत्रीः निर्मला सीतारमण)
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में वित्त वर्ष 2022-23 के लिए बजट पेश किया। निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए कहा कि इस बजट में विकास को प्रोत्साहन दिया गया है। जिसके अंतर्गत एक साल में प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतगर्त देश भर में 80 लाख मकान बनाए जाने का एलान किया गया। इस बजट में युवाओं को 60 लाख नौकरियां देने का वादा किया गया - 2023 का बजट (वित्त मंत्री: निर्मला सीतारमण)
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी पूर्ण बजट साल 2023 में पेश किया गया। इसे भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया। इस बजट में अलग-अलग मंत्रालयों-विभागों से लेकर केंद्रीय योजनाओं के लिए आवंटन की घोषणा की गई। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साल 2023 के बजट में टैक्स स्लैब में बड़े बदलाव का एलान किया। वित्त मंत्री ने करदाताओं को राहत देते हुए एलान किया कि नई कर प्रणाली के तहत 7 लाख रुपए तक की सालाना कमाई तक कोई टैक्स नहीं देना होगा। पहले यह सीमा पांच लाख रुपये की थी। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस बजट की 7 प्राथमिकताएं समावेशी विकास, अंतिम छोर तक पहुंचना, बुनियादी ढांचा और निवेश, क्षमता को उजागर करना, हरित ऊर्जा के क्षेत्र में वृद्धि, युवा शक्ति और वित्तीय क्षेत्र हैं। - 2024 का अंतरिम बजट (वित्त मंत्री: निर्मला सीतारमण)
वर्ष 2024 में एक फरवरी को वित्त और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने संसद में 2024-2025 के लिए पूर्ण बजट की जगह अंतरिम बजट पेश किया, क्योंकि इस वर्ष आम चुनाव होने थे। अंतरिम बजट में वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की वास्तविक जीडीपी 7.3 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान जताया गया। अंतरिम बजट में अगले वर्ष के लिए पूंजीगत व्यय परिव्यय 11.1 प्रतिशत बढ़ाकर 11,11,111 करोड़ रुपये किया गया जो जीडीपी का 3.4 प्रतिशत था। इस बजट में 2024-25 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 5.1 प्रतिशत होने का अनुमान जताया गया। इस अंतरिम बजट में वित्त मंत्री ने कहा कि ‘गरीब’, ‘महिलाएं’, ‘युवा’ और ‘अन्नदाता’ का उत्थान सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। युवाओं के लिए पचास साल के ब्याज मुक्त ऋण के साथ एक लाख करोड़ रुपये का कोष स्थापित करने का एलान भी किया गया। वित्त मंत्री ने एक बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि राज्यों को पूंजीगत व्यय के लिए पचास वर्षीय ब्याज मुक्त ऋण की योजना इस वर्ष भी जारी रहेगी, जिसका कुल परिव्यय 1.3 लाख करोड़ रुपये होगा। राज्य सरकारों की ओर से विकसित भारत के मील के पत्थर से जुड़े सुधारों का समर्थन करने के लिए इस वर्ष पचास वर्षीय ब्याज मुक्त ऋण के रूप में पचहत्तर हजार करोड़ रुपये के प्रावधान का प्रस्ताव किया गया।