हरियाणा के सिरसा के चोपटा के साथ लगते गांव ढिलकी में खेत को समतल करते समय 8वीं शताब्दी की तीर्थंकर महावीर की मूर्तियां मिली हैं। पुरातत्व विभाग के अनुसार, सिरसा से लेकर राजस्थान में जैन धर्म के अनेक लोग रहते थे। संभवत: यह मूर्तियां भी बनाई गई हों और काल चक्र में यह मूर्तियां जमीन के नीचे दब गई हों।
सिरसा सीमा से सटे राजस्थान के गांव ढिलकी में किसान पूर्णमल बुडानिया अपने खेतों को समतल करवा रहे थे। इसी दौरान यहां पर जब ट्रैक्टर चालक जमीन को समतल कर रहा था तो कुछ पत्थरों के टकराने की आवाज आई। जब उन्होंने मिट्टी को हटाकर देखा तो यहां पर भगवान महावीर की दो मूर्तियां निकलीं।
इनमें एक मूर्ति बड़ी तो दूसरी छोटी थी। दोनों मूर्तियां पद्मासन में संगमरमर से बनी हुई हैं। उनके एक हाथ में सिक्का दिखाई दे रहा है। मुख्य मूर्ति के चारों ओर अन्य भाव भंगिमाएं उकेरी गई हैं।
पूर्णमल बुडानिया ने बताया कि वह अपने खेत में जुताई के लिए जमीन को समतल करवा रहे थे। इसी दौरान यह मूर्तियां निकलीं। इस पर उन्होंने राजस्थान के नोहर में जिला प्रशासन व नोहर में ही स्थित जैन मंदिर के संचालकों को इसकी सूचना दी। दोनों मूर्तियों को सुरक्षित रूप से रख लिया गया है।
ग्रामीण रूपराम मील ने बताया कि गांव में करीब 15 साल पहले पुरानी ईंटों से बना कुआं मिला था। यही नहीं गांव के पास एक थेहड़ पर पुराने समय के मिट्टी के बर्तन भी मिलते रहे हैं। इसकी जानकारी प्रशासन को दे दी गई थी। प्रशासनिक अधिकारी भी कई बार यहां पर दौरा कर चुके हैं।
सिरसा व इसके आसपास का क्षेत्र जैन धर्म का
पुरातत्वविदों के अनुसार, सिरसा जिला कभी जैन धर्म से संबंधित रहा है। यहां पर अक्सर जैन समुदाय से जुड़े अवशेष मिलते रहे हैं। सिरसा के रानियां क्षेत्र में भी जैन धर्म से संबंधित पुराने काल की मूर्तियां मिल चुकी हैं।
जो मूर्तियां मिली हैं, वह जैन धर्म के तीर्थंकर महावीर की हैं। इनकी छाती पर एक निशान है, जो यह साबित करता है कि यह मूर्ति आठवीं शताब्दी से संबंधित है। सिरसा जिले में पहले भी ऐसे कई अवशेष मिल चुके हैं। रानियां में भी जैन धर्म से जुड़े अनेक अवशेष मिले थे। -बुनानी भट्टाचार्य, उप निदेशक, पुरातत्व विभाग, पंचकूला।