रवि श्रीवास्तव
किसान आंदोलन को लेकर आज का दिन काफी अहम है क्योंकि आज इस पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई होनी है सुप्रीम कोर्ट में तीनों कृषि कानूनों को लेकर सुनवाई होगी जिसकी अध्यक्षता खुद चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया करेंगे
कृषि कानूनों की वैधता को एक किसान संगठन और वकील एमएल शर्मा ने चुनौती दी है। शर्मा ने याचिका में कहा है कि केंद्र सरकार को कृषि से संबंधित विषयों पर कानून बनाने का अधिकार नहीं है। कृषि और भूमि राज्यों का विषय है और संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची 2 (राज्य सूची) में इसे एंट्री 14 से 18 में दर्शाया गया है। यह स्पष्ट रूप से राज्य का विषय है। इसलिए इस कानून को निरस्त किया जाए।
सरकार से किसान निराश,सुप्रीम फैसले से आस
अब तक तकरीबन सरकार किसानों के बीच 9 दौर की बातचीत के बाद कोई फैसला कोई निष्कर्ष दोनों ही पक्षों के बीच नहीं आए हैं ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई काफी अहम हो जाती है सुप्रीम फैसले के बाद यह साफ हो पाएगा कि क्या तकरीबन 45 दिनों से ज्यादा किसान आंदोलन खत्म होगा या फिर अभी 26 जनवरी तक चलेगा इन सब के बीच सरकार की टिप्पणी बेहद महत्वपूर्ण थी क्योंकि सरकार यह साफ कर चुकी है कि वह सुप्रीम कोर्ट के प्रति प्रतिबद्ध है सुप्रीम कोर्ट का फैसला सर्वमान्य होगा 9वी दौर की बातचीत के बाद सरकार की तरफ से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि यदि सर्वोच्च अदालत किसानों के हक में फैसला देता है तो उन्हें आंदोलन करने की जरूरत नहीं रहेगी। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था केंद्र सरकार ने कानून समवर्ती सूची की एंट्री 33 के आधार पर बनाए हैं, उन्हें लगता है इस एंट्री से कृषि विपणन पर कानून बनाने का अधिकार है।