मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर अपनी आपत्ति संबंधी दस्तावेज़ लॉ कमीशन को भेज दी है। उनके मुताबिक, लॉ कमीशन के डॉक्यूमेंट्स में स्पष्टता नहीं है और उनमें “हां” या “न” के जवाब मांगे गए हैं। AIMPLB का कहना है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ इस्लामिक कानूनों से प्राप्त किए गए हैं और इससे उनकी पहचान जुड़ी हुई है। वे दावा करते हैं कि भारत के मुस्लिम लोग अपनी पहचान खोने के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि देश में कई तरह के पर्सनल लॉ हैं जो संविधान के आर्टिकल 25, 26 और 29 के अनुसार हैं।
AIMPLB के प्रवक्ता कासिम रसूल इलियास ने बताया कि AIMPLB की कार्यसमिति ने समान नागरिक संहिता को लेकर रिपोर्ट तैयार की थी और उसे साधारण सभा में मंजूरी दी गई है। रिपोर्ट को विधि आयोग को भेज दिया गया है। विधि आयोग ने इस मुद्दे पर विभिन्न पक्षकारों और हितधारकों को आपत्तियां दाखिल करने के लिए 14 जुलाई तक का समय दिया है।
इस परिवर्तन के बारे में एक अखबार लेख बता रहा है कि यह समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर राजनीतिक विवाद बन गया है और इसे AIMPLB और लॉ कमीशन के बीच एक तरफ़ा लड़ाई के रूप में देखा जा रहा है।
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