इलाहाबाद हाईकोर्ट: सप्तपदी का अनिवार्य तत्व, पुलिस स्टेशन में हुए विवाह को कानून मान्य नहीं करेगा

विवाह संस्कार
विवाह संस्कार

ईलाहाबाद: हिंदू धर्म में विवाह संस्कार की कई पद्धतियां हैं, जिनके आधार पर विवाह को मान्यता मिलती है। इनमें से एक तरीका सप्तपदी है, जिसे हिंदू विवाह संस्कार का अनिवार्य तत्व माना जाता है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा है कि विवाह को रीति-रिवाजों के साथ संपन्न होने के बिना वैध नहीं माना जा सकता है, और यदि सप्तपदी नहीं होती है, तो विवादित विवाह को कानून की नजर में अवैध माना जाएगा।

इस मामले में, एक महिला ने अपने पति और ससुराल वालों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न और मारपीट के आरोपों के साथ वाराणसी जिला अदालत में परिवाद दाखिल किया था। उसके आरोप थे कि उसका दूसरा विवाह उसके पहले पति से तलाक लिए बिना हुआ था, और इस बात की जाँच कराने के बावजूद पुलिस ने उसके खिलाफ अदालत में चार्जशीट दाखिल की थी।

इस मामले में सप्तपदी का जिक्र किया गया था, और हाईकोर्ट ने यह कहा कि सप्तपदी हिंदू शादी की वैधता का अनिवार्य हिस्सा है। कोर्ट ने इस प्रक्रिया को पूरी नहीं होने के कारण अवैध माना और उसे दुरुपयोग के रूप में दोषित न्यायिक प्रक्रिया की घोषणा की।

इस निर्णय के परिणामस्वरूप, अब उत्तर प्रदेश में पुलिस स्टेशन में होने वाली शादियों की वैधता पर सवाल उठेगा और उन्हें विधिक रूप से मान्य नहीं माना जाएगा।

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