-अक्षत सरोत्री
लव जिहाद के मामलों के बीच शादियों की रजिस्ट्रेशन को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है। शादियों से पहले नोटिस प्रकाशित होने पर आपत्तियां मंगाने को गलत माना। अदालत ने इसे स्वतंत्रता और निजता के मौलिक अधिकारों का हनन बताया है। अदालत ने विशेष विवाह अधिनियम की धारा 6 और 7 को भी गलत बताया है। अदालत ने कहा किसी के दखल के बिना पसंद का जीवन साथी चुनना व्यक्ति का मौलिक अधिकार है। ऐसे लोगों के लिए सूचना प्रकाशित कर उस पर लोगों की आपत्तियां न ली जाएं। इसके अलावा अदालत ने टिप्पणी करते हुये कहा कि, इस तरह का कदम सदियों पुराना है, जो युवा पीढ़ी पर क्रूरता और अन्याय करने जैसा है।
निजता और मौलिक अधिकारों का हनन
अदालत ने इसे स्वतंत्रता और निजता के मौलिक अधिकारों का हनन बताया। अदालत ने विशेष विवाह अधिनियम की धारा 6 और 7 को भी गलत बताया। अदालत ने कहा कि किसी की दखल के बिना पसंद का जीवन साथी चुनना व्यक्ति का मौलिक अधिकार है। अदालत ने कहा कि इस तरह का कदम सदियों पुराना है, जो युवा पीढ़ी पर क्रूरता और अन्याय करने जैसा है। हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के जस्टिस विवेक चौधरी ने यह फैसला दिया। साफ़िया सुलतान की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर कोर्ट ने यह आदेश दिया है।