जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख अमीर सिराज-उल-हक ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि चुनाव में पहले ही देरी हो चुकी है और चुनाव 205 दिन बाद भी हो सकते हैं। श्री हक शीर्ष अदालत की तीन सदस्यीय पीठ के सामने पेश हुए। जिसकी अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश उमर अता बंदियाल और न्यायमूर्ति इजाज़ुल अहसेन और न्यायमूर्ति मुनीब अख्तर ने की। पीठ ने एक याचिका पर सुनवाई की जिसमें नेशनल असेंबली और प्रांतीय विधानसभाओं के आम चुनाव एक ही तारीख पर कराने की मांग की गई थी।
उन्होंने कहा, “चुनाव में पहले ही 90 दिनों की देरी हो चुकी है। श्री हक ने कहा, अगर दो प्रांतीय विधानसभाओं के भंग होने के बाद 105 दिनों तक चुनाव रुक सकते हैं, तो वे 205 दिनों के बाद भी हो सकते हैं।” उन्होंने कहा कि न्यायपालिका, सेना और पाकिस्तान के चुनाव आयोग (ईसीपी) को राजनीति से दूर रहना चाहिए और उन्होंन सभी से अपने रुख से पीछे हटने का आग्रह किया। श्री हक ने कहा, “न्यायपालिका को इस मामले को राजनीतिक दलों पर छोड़ देना चाहिए और अपने वचन का सम्मान करना चाहिए।” श्री हक ने अदालत से आग्रह किया कि एक राजनीतिक संवाद के लिए सभी राजनीतिक प्रतिभागियों के लिए अपने-अपने पदों की गरिमा को ध्यान में रखते हुए लचीलापन लाना आवश्यक है और पार्टियों का दृष्टिकोण अहंकार या गर्व से निर्धारित नहीं होना चाहिए।