Amarnath Yatra: वार्षिक अमरनाथ यात्रा गुरुवार को संपन्न हो गई, जिसमें 4.4 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने दक्षिण कश्मीर में गुफा मंदिर में पूजा-अर्चना की। 62 दिनों तक चलने वाली यह यात्रा 1 जुलाई को बालटाल और पहलगाम मार्गों से शुरू हुई थी। अधिकारियों के अनुसार, तीर्थयात्रा के दौरान कुल 4,45,338 श्रद्धालुओं ने प्राकृतिक रूप से बने बर्फ के ‘शिवलिंग’ के दर्शन किये।
उन्होंने कहा कि इस साल यात्रा के दौरान तीर्थयात्रियों और सेवा प्रदाताओं सहित 48 लोगों की मौत हो गई और 62 घायल हो गए। उन्होंने कहा कि मौतें मौसम संबंधी घटनाओं या प्राकृतिक कारणों से हुईं।
यात्रा शांतिपूर्ण रही: Amarnath Yatra
इस वर्ष यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या पिछले वर्ष के 3.65 लाख से अधिक थी। अधिकारियों ने कहा कि इस साल यात्रा शांतिपूर्ण और घटना-मुक्त रही।
उन्होंने बताया कि भगवान शिव की पवित्र गदा, जिसे ‘छड़ी मुबारक’ के नाम से जाना जाता है, उसके संरक्षक महंत दीपइंद्र गिरि के नेतृत्व में साधुओं और भक्तों का एक समूह गुरुवार तड़के पवित्र गुफा में दिन भर की पूजा-अर्चना के लिए पहुंचा। साधुओं और भक्तों का समूह पहलगाम से 42 किलोमीटर की पैदल यात्रा करके चंदनवारी, शेषनाग और पंचतरणी में रात्रि विश्राम के साथ गुफा मंदिर तक पहुंचा।
इससे पहले मंगलवार (29 अगस्त) को, भगवान शिव की पवित्र गदा के रूप में लोकप्रिय ‘छड़ी मुबारक’ अमरनाथ यात्रा के समापन को चिह्नित करने के लिए पहलगाम के चंदनवाड़ी से सुबह शेषनाग के लिए रवाना हुई थी। छड़ी मुबारक ने शेषनाग की ओर जाने से पहले चंदनवार पहलगाम में रात बिताई थी। पवित्र ‘छड़ी मुबारक’ की रस्में वार्षिक अमरनाथ यात्रा के समापन का प्रतीक हैं।
यह तीर्थयात्रा धर्मनिरपेक्षता की मिसाल कायम करती है
यह तीर्थयात्रा धर्मनिरपेक्षता का सबसे अच्छा उदाहरण रही है और एक वार्षिक उत्सव की तरह है जिसमें स्थानीय मुस्लिम भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। स्पोर्ट्स स्टेडियम पुंछ में जहां आधार शिविर स्थापित किया गया था, दर्जनों मुस्लिम युवा हर दिन तीर्थयात्रियों की सेवा करने के लिए स्वेच्छा से आगे आए।
इस साल बुड्ढा अमरनाथ यात्रा पर देशभर से आए तीर्थयात्रियों ने पुंछ में कई खूबसूरत जगहों का दौरा किया और वहां का लुत्फ उठाया। बड़ी संख्या में श्रद्धालु बातिलकोट लोर और गुरुद्वारा नंगाली साहिब के दर्शन के लिए गए। उन्होंने पुंछ के खूबसूरत पर्यटन स्थल थान पीर जाकर पहाड़ी इलाकों का भी आनंद लिया।