मणिपुर के मुद्दे पर संसद के दोनों सदनों में विपक्ष सरकार के बयान के लिए दबाव बना हुआ है। कांग्रेस पार्टी का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद सदन के अंदर बयान दें। विपक्ष ने सरकार से इस मुद्दे के बारे में चर्चा करने की मांग की है। गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्ष की इस मांग पर जवाब देते हुए कहा कि लोकसभा में चर्चा के लिए सरकार पूरी तरह तैयार है। उन्होंने कहा कि उन्हें इस विषय से कोई आपत्ति नहीं है और वे विपक्ष से अपील करते हैं कि वो भी इस विषय पर चर्चा का हिस्सा बनें। देश के लिए यह अहम है कि मणिपुर हिंसा की सच्चाई को जाना जाए, और इस मुद्दे पर सरकार को बहस से किसी भी तरह की आपत्ति नहीं है। लेकिन लोकसभा में हंगामे के बाद सदन की कार्यवाही को स्पीकर ओम बिरला ने मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दिया।
पीएम मोदी की प्रतिक्रिया
गुरुवार को सत्र के उद्घाटन के दिन प्रधानमंत्री मोदी ने संसद परिसर में सत्र पूर्व संबोधन के दौरान पहली बार सार्वजनिक रूप से हिंसा के बारे में बात की। उन्होंने मणिपुर के दो महिलाओं को नग्न घुमाने और भीड़ द्वारा यौन उत्पीड़न की घटना की कड़ी निंदा की। मणिपुर की इस घटना ने हर विचारशील नागरिक को आहत किया है। देश इस हिंसा से शर्मिंदा हुआ है। मैं सभी मुख्यमंत्रियों से अपील करता हूं कि वे अपराध, विशेषकर महिलाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए कानूनों को मजबूत करें। चाहे वह राजस्थान हो या छत्तीसगढ़ या मणिपुर, अपराधी कहीं भी सजा से बच नहीं सकते।
मोदी के बयान पर विपक्ष अड़ा
पूर्वोत्तर राज्य में हुई झड़पों के एक दिन बाद विपक्षी दल संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मुद्दे पर अधिक विस्तृत बयान की मांग पर अड़े हुए हैं। विपक्ष का कहना है कि सरकार को इस मुद्दे पर संसद में चर्चा करने की अनुमति देनी चाहिए। केंद्रीय सरकार ने इस मांग को स्वीकार करते हुए संसद में चर्चा कराने की सहमति दी, लेकिन मोदी के बयान को व्यवधान की चेतावनी भी जारी की। इस घटना का वीडियो ऑनलाइन प्रसारित होने से बड़े पैमाने पर राष्ट्रव्यापी आक्रोश फैल गया है।