Apollo Proton Cancer Center, नयी दिल्ली, 28 फरवरी (वार्ता) : दक्षिण एशिया के पहले प्रोटॉन बीम थेरेपी की मदद से उपचार करने वाले अपोलो प्रोटॉन कैंसर सेंटर (एपीसीसी), चेन्नई ने दुर्लभ ब्रेन ट्यूटर से पीड़ित महिला को स्वस्थ करने में सफलता हासिल की है। एपीसीसी चेन्नई की सीनियर कंसल्टेंट (रेडिएशन ऑन्कोलाॅजी) डॉ सपना नांगिया ने मंगलवार को यहां संवाददाताओं को बताया कि कि प्रोटोन बीम थेरेपी का प्रमुख लाभ यह है कि प्रोटॉन जैसे-जैसे कैंसर वाले ट्यूमर की ओर बढ़ते हैं, वे धीरे-धीरे अपनी ऊर्जा जमा करते जाते हैं और शरीर को नुकसान पहुंचाए बिना सीधे ट्यूमर में अधिकांश विकिरण खुराक जमा कर देता है और इस प्रकार स्वस्थ ऊतकों और अन्य अंगों को कोई नुकसान भी नहीं पहुंचता है। प्रोटॉन थेरेपी को शरीर के सिर के तल क्षेत्रों जैसी कुछ सबसे कठिन जगहों में स्थित विभिन्न कैंसर पर स्थानीय रूप से नियंत्रण पाने में बेहतर पाया गया है। इस तकनीक के जरिए की गई नवीनतम सफलताओं के कारण पिछले कुछ वर्षों में दुनिया भर के अस्पतालों ने इस तकनीक को अपनाया है। कैंसर उपचार का यह एक बहुत ही परिष्कृत रूप है, जो कैंसर का सटीक और प्रभावी उपचार प्रदान करता है।
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एपीसीसी पेंसिल बीम स्कैनिंग में नवीनतम प्रौद्योगिकी का उपयोग करता है, जो आसपास के स्वस्थ ऊतकों को होने वाले जोखिम को कम करते हुए ट्यूमर स्थल पर क्षेत्र-दर-क्षेत्र और परत-दर-परत प्रोटॉन बीम छोड़ता है। उन्होंने बताया कि खोपड़ी और फेफड़े जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में स्थित ट्यूमर के लिए यह पद्धति विशेष रूप से फायदेमंद है, जहां पारंपरिक विकिरण उपचार से स्वस्थ ऊतकों को बड़ा नुकसान पहुंच सकता है। प्रोटॉन थेरेपी ने उपचार के तत्काल और दीर्घकालिक दोनों दुष्प्रभावों को कम करते हुए कई कैंसर को ठीक करने या नियंत्रित करने में उत्कृष्ट परिणाम हासिल किए हैं। प्रोटॉन थेरेपी न केवल रोगियों के जीवित रहने की संभावना बढ़ाता है बल्कि उपचार के बाद उनके जीवन की गुणवत्ता को भी बढ़ाता है। डॉ नांगिया ने बताया कि प्रोटॉन बीम थेरेपी (पीबीटी) की मदद से दिल्ली की एक 62 वर्षीय महिला निखत खान का सेंटर में इलाज सफलतापूर्वक किया गया जो एक अलग प्रकार के दुर्लभ ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित थीं। सुश्री निखत खान ने इस मौके पर बताया कि उन्हें मधुमेह और उच्च रक्तचाप की शिकायतें थीं, अप्रैल 2022 में उन्हें सिरदर्द और डिप्लोपिया होने का पता चला। जून 2022 से उनके चेहरे के बाईं ओर सुन्नता आने लगी थी। कई परीक्षण करने के बाद, यह निष्कर्ष निकला कि उनकी खोपड़ी के तल में ब्रेन ट्यूमर है। ट्यूमर हिप्पोकैम्पस, ब्रेन पैरेन्काइमा, बाईलेटरल टेम्पोरल लोब, ऑप्टिक एपरेटस, और पैरोटिड जैसी महत्वपूर्ण हिस्सों के निकट मौजूद था, इसे देखते हुए सुश्री खान को प्रोटॉन थेरेपी के माध्यम से सहायक विकिरण उपचार करवाने की सलाह दी गई थी। विकिरण उपचार और सर्जरी के बाद उनकी स्वास्थ्य रिपोर्ट अच्छी आई और उन्हें छुट्टी दे दी गई। उन्होंने बताया कि एपीसीसी में चिकित्सकों सहित सभी कर्मी बहुत सहयोगी और वहां उन्हें उनकी पसंद का खाना हमेशा मिलता रहा जिससे उन्हें हर वक्त घर की बहुत कमी महसूस नहीं हुई। श्री नवादिया जेमिन मनसुखभाई ने कहा कि एपीसीसी में सर्वाइको मेडुलरी पायलोसाइटिक एस्ट्रोसाइटोमा का उनका इलाज उनके लिए एक अनूठा अनुभव रहा। वहां के चिकित्सकों और कर्मचारियों ने उनके इलाज के एक विस्तृत योजना बनायी और ब्रेन ट्यूमर के साथ-साथ उन्हें इंटेंसिटी माड्युलेटेड प्रोटान थेरेपी वरदान साबित हुआ। उन्होंने कहा कि एपीसीसी का माहौल ऐसा है कि उन्हें वहां अस्पताल जैसा महसूस ही नहीं हुआ। एपीसीसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हरीश त्रिवेदी ने बताया कि प्रोटॉन थेरेपी उपचार का प्रमुख लाभ यह है कि प्रोटॉन जैसे-जैसे कैंसर वाले ट्यूमर की ओर बढ़ते हैं, वे धीरे-धीरे अपनी ऊर्जा जमा करता जाता है और शरीर को नुकसान पहुंचाए बिना सीधे ट्यूमर में अधिकांश विकिरण खुराक जमा कर देता है और इस प्रकार स्वस्थ ऊतकों और अन्य अंगों को कोई नुकसान भी नहीं पहुंचता है। प्रोटॉन थेरेपी को शरीर के खोपड़ी-तल क्षेत्रों जैसे कुछ सबसे कठिन जगहों में स्थित विभिन्न कैंसर पर स्थानीय रूप से नियंत्रण पाने में बेहतर पाया गया है, अन्यथा जिनका इलाज करना मुश्किल है। पेंसिल बीम स्कैनिंग, अत्यधिक परिशुद्ध छवि मार्गदर्शन और मशीन सेट अप में आधुनिक उपकरणों आदि के बदलाव सहित नवीनतम तकनीक अपनाये जाने के कारण पिछले कुछ वर्षों में दुनिया भर के अस्पतालों ने इस थेरेपी को अपनाया है।
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