बता दें कि नए साल में सीमा पार से ड्रोन के जरिये होने वाली हथियारों, ड्रग्स की तस्करी और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की घटनाओं पर लगाम लग सकेगी। इसके साथ ही दरअसल, तीन स्वदेशी कंपनियों का एंटी ड्रोन तकनीक का परीक्षण सफल रहा है। इसी साल से अंतराष्ट्रीय सीमा पर इस तकनीक का इस्तेमाल कर ड्रोन के बढ़ते खतरों को रोका जाएगा।
गृह मंत्रालय के अतिविशिष्ट सूत्र ने बताया कि इस दिशा में मंत्रालय के अधीन आधुनिकीकरण पर अनुसंधान करने वाली एजेंसी ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (बीपीआरडी) लंबे समय से कई कंपनियों के संपर्क में थी। तीन कंपनियों का परीक्षण सफल रहा है। अब यह तय करना है कि सीमा पर ड्रोन के खतरों से निपटने के लिए किस कंपनी की तकनीक का इस्तेमाल किया जाए। भारत से जुड़ी अंतरराष्ट्रीय सीमा बेहद लंबी है, ऐसे में तीनों कंपनियों की सेवा ली जा सकती है।
बता दें कि पूर्वोत्तर भारत में उग्रवाद की मुख्य समस्या म्यांमार से घुसपैठ से जुड़ी है। हालिया मणिपुर हिंसा में म्यांमार में शरण लेने वाले उग्रवादी गुट की भूमिका सामने आई थी। इसी के मद्देनजर सरकार ने अगले पांच साल में म्यांमार से लगती 1,643 किमी सीमा पर स्थाई बाड़ लगाने की योजना बनाई है। इस क्रम में 300 किमी में बाड़ लगाने का टेंडर हो चुका है।
इस तकनीक से न सिर्फ दुश्मन देशों के ड्रोन को नाकाम किया जा सकेगा, बल्कि सीमा पर घुसपैठ को रोकने में भी मदद मिलेगी। उक्त सूत्र ने बताया कि अलग-अलग कंपनियों के काउंटर ड्रोन सिस्टम की रेंज अलग-अलग है।