Ayodhya Ram Mandir: एमबीए के बाद की प्राइवेट कंपनी में नौकरी, पढ़ें कौन हैं रामलला की मूर्ति को आकार देने वाले योगीराज अरुण

कर्नाटक के जानेमाने मूर्तिकार अरुण योगीराज की बनाई गई ‘रामलला’ की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा अयोध्या में निर्मित भव्य राम मंदिर में लगाई जाएगी। योगीराज अरुण द्वारा बनाई गई ‘रामलला’ की मूर्ति को 22 जनवरी को राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के लिए अंतिम रूप दिया गया है। मैसूर के प्रसिद्ध मूर्तिकारों की पांच पीढ़ियों की पारिवारिक पृष्ठभूमि वाले अरुण योगीराज वर्तमान में देश में सबसे अधिक मांग वाले मूर्तिकार हैं।
शिल्पी के बेटे और 37 वर्षीय अरुण योगीराज मैसूरु महल के शिल्पकारों के परिवार से आते हैं। अरुण के पिता गायत्री और भुवनेश्वरी मंदिर के लिए भी कार्य कर चुके हैं। मैसूर विश्वविद्यालय से एमबीए की पढ़ाई कर चुके योगीराज पांचवीं पीढ़ी के मूर्तिकार हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अरुण की प्रतिभा की सराहना कर चुके हैं।
अरुण के पिता योगीराज भी एक कुशल मूर्तिकार हैं। उनके दादा बसवन्ना शिल्पी को मैसूर के राजा का संरक्षण प्राप्त था। इसी पीढ़ी से ताल्लुक रखने वाले अरुण योगीराज भी बचपन से ही नक्काशी के काम से जुड़े रहे। एमबीए की डिग्री लेने के बाद उन्होंने एक प्राइवेट कंपनी में भी काम किया, लेकिन 2008 में मूर्तिकार बनने के लिए उन्होंने नौकरी छोड़ दी। उनको मूर्ति बनाने की तरफ झुकाव बचपन से था।
देशभर में मूर्तिकार अरुण योगीराज की बढ़ रही मांग
देश के अलग-अलग राज्यों में अरुण की तलाश इस मांग के चलते हो रही है कि अरुण के हुनर ​​से उपलब्धि हासिल करने वालों की प्रतिमाएं खड़ी की जाएं। बता दें कि इंडिया गेट पर लगी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 30 फीट की मूर्ति भी अरुण ने ही तराशी है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती से पहले, पीएम मोदी की इच्छा थी कि स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान का सम्मान करने के लिए इंडिया गेट पर उनकी एक प्रतिमा स्थापित की जाए , जिसका अरुण योगीराज ने समर्थन किया था।
उन्होंने प्रधानमंत्री को सुभाष चंद्र बोस की दो फीट ऊंची प्रतिमा भी भेंट की और उनकी सराहना हासिल की। अरुण को पहले भी कई संस्थाएं सम्मानित कर चुकी हैं। मैसूर के शाही परिवार ने भी उनके योगदान के लिए विशेष सम्मान दिया है।
योगीराज ने केदारनाथ में स्थापित आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का भी निर्माण किया है। इसके अलावा उन्होंने मैसूरु में महाराजा जयचामराजेंद्र वडेयार की 14.5 फुट की सफेद संगमरमर की प्रतिमा, महाराजा श्री कृष्णराज वाडियार-IV और स्वामी रामकृष्ण परमहंस की सफेद संगमरमर की मूर्ति बनाई है।