-नीलम रावत
मां सरस्वती ज्ञान की देवी है। हर कोई ज्ञान के लिए मां सरस्वती की अराधना करता है। मां का पर्व बसंत पंचमी (BASANT PANCHAMI) के नाम से मनाया जाता है। मान्यता है कि स्वंय मां सरस्वती इस दिन प्रकट हुई थी। बसंत पंचमी का पर्व हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष के पांचवें दिन मनाया जाता है। बसंत पंचमी के दिन से ही वसंत ऋतु की भी शुरूआत हो जाती है। इस बार 16 फरवरी को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाएगा।
बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त
16 फरवरी को सुबह 03 बजकर 36 मिनट पर पंचमी (BASANT PANCHAMI) शुरू हो रही है। 17 फरवरी को सुबह 05 बजकर 46 मिनट तक रहेगी। बसंत पंचमी की पूजा सूर्योदय के बाद और शाम होने से पहले की जाती है।
कुणाल पांड्या ने पापा को किया याद, शेयर की दिल छू लेने वाली वीडियो
बसंत पंचमी का महत्व
बसंत पंचमी (BASANT PANCHAMI) के दिन लोग विद्या की देवी सरस्वती की अराधना करते हैं। पढ़ाई शुरू करने या फिर किसी भी नई कला की शुरूआत करने के लिए ये दिन अत्यंत ही शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन कामदेव पत्नी रति के साथ पृथ्वी पर आते हैं। इसलिए जो पति-पत्नी इस दिन भगवान कामदेव और देवी रति की पूजा करते हैं तो उनके वैवाहिक जीवन में कभी मुश्किलें नहीं आती हैं। इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करने का भी विधान है।
बसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा क्यों ?
मान्यताओं के अनुसार ज्ञान की देवी मां सरस्वती शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ही ब्रह्माजी के मुख से प्रकट हुई थीं। इसलिए बसंत पंचमी (BASANT PANCHAMI) के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है। इस दिन पूरे विधि-विधान से मां सरस्वती की पूजा करने से वो प्रसन्न होती हैं और भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
कैसे करें मां सरस्वती की पूजा ?
• इस दिन पीले, बसंती या सफेद वस्त्र धारण करें
• इसके बाद पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूजा की शुरुआत करें
• मां सरस्वती को पीला वस्त्र बिछाकर उस पर स्थापित करें
• रोली मौली, केसर, हल्दी, चावल, पीले फूल, पीली मिठाई प्रसाद के रूप में उनके पास रखें
• मां सरस्वती को श्वेत चंदन और पीले तथा सफेद पुष्प दाएं हाथ से अर्पण करें
• हल्दी की माला से मां सरस्वती के मूल मंत्र ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः का जाप करें