बेहमई कांड में 43 साल बाद आखिर फैसला आ गया है। अपर जिला जज (डकैती) ने श्याम बाबू केवट को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा दी है, दूसरे आरोपित विश्वनाथ को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया है।
बेहमई गांव 14 फरवरी 1981 की दोपहर का समय सब सामान्य था, कुछ ग्रामीण खेत में काम कर रहे थे तो कुछ घर पर आराम कर रहे थे। अचानक से उसी समय शोर मचा कि डकैत आ गए, बचो और भागो। सभी बचने को घरों की तरफ भागे तो कुछ गांव के बाहर की तरफ लेकिन फूलन देवी अपने गिरोह के डाकुओं के साथ गांव के रास्ते से लेकर हर तरफ घेराबंदी किए थी।
ग्रामीणों को दौड़ा दौड़ाकर पकड़ा गया इसके बाद 26 लोगों को एक कतार में करके गोलियों से भून दिया गया जिसमें 20 की जान गई व छह घायल हो गए थे। घटना में फूलन देवी समेत 36 लोगों को आरोपित बनाया गया था।
फूलन इस दुनिया में नहीं हैं, डकैत मान सिंह अब तक फरार है। दो आरोपित ही जेल में बंद थे जबकि अन्य की मौत हो चुकी है। घटना के गवाह और वादी का भी निधन हो चुका है। इस घटना को बीते 43 वर्ष हो गए और अब जाकर न्याय मिला है।अब तक हर वर्ष जब यह दिन आता है ग्रामीणों की आंखें नम हो जातीं हैं और यही सोचते हैं कि आखिर न्याय कब मिलेगा। अभी तक मुकदमे का ऐसा दांवपेंच फंसा है कि फैसला ही इतने वर्ष में न आ सका था। लोगों का धैर्य तक जवाब दे गया साथ ही एक-एक कर यह दुनिया छोड़कर भी जाते रहे। धैर्य की सीमा भी पार हो गई है लेकिन यहां के लोगों को न्याय नहीं मिला और अब वादी राजाराम व गवाह जंटर सिंह भी नहीं रहे।