भारतीय न्याय संहिता (BNS) जल्द ही 163 साल पुराने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह ले रही है। इस संहिता में विभिन्न सामान्य और गंभीर अपराधों के प्रावधान शामिल होंगे, जिनमें एटीएम चोरी, प्रश्न पत्र लीक, दुकान में चोरी, कार चोरी और कार से कीमती सामान चुराना शामिल है। इस संहिता के अंतर्गत दोषी को जुर्माने के साथ एक से 7 साल तक की जेल सजा भी हो सकती है। यहाँ तक कि आईपीसी में ऐसा कोई विशेष प्रावधान नहीं है जो इन अपराधों को विशेष रूप से संज्ञान में लाता है। इस तरह के मामलों को आईपीसी की धारा 378 के तहत ‘चोरी’ में शामिल किया जाता है।
इस संहिता के माध्यम से भारत में महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के प्रावधान भी शामिल किए गए हैं। मकोका ने 1999 में मुंबई और महाराष्ट्र में कठोर अपराध सिंडिकेट को प्रभावित किया था, लेकिन यह एक राज्य के द्वारा बनाया गया था। बाद में इसे कई अन्य राज्यों ने या तो अपनाया या इसकी तर्ज पर कानून बनाया।
बीएनएस के माध्यम से यह प्रावधान पूरे भारत में लागू किए जाएंगे, जो अधिकारियों को संगठित अपराध से निपटने में मदद करेंगे। यह संहिता धारा 109 के तहत संगठित अपराध को परिभाषित करती है और अपने प्रावधानों के तहत, चोरी, डकैती, वाहन चोरी, जबरन वसूली, भूमि पर कब्जा, आर्थिक अपराध, साइबर अपराध, तस्करी और गैरकानूनी गतिविधियां संगठित अपराध मानी जाएंगी। इसके अलावा, ड्रग्स, कॉन्ट्रैक्ट किलिंग, वेश्यावृत्ति, मानव तस्करी, हिंसा, भ्रष्टाचार भी संगठित अपराध के तहत आएंगे।
इसके साथ ही, संगठित अपराध की श्रेणी में आएगी एटीएम चोरी, कार चोरी, जिसमें जेब काटना, छीना-झपटी, दुकान से चोरी, कार्ड स्किमिंग, सार्वजनिक परिवहन प्रणाली में अवैध पैसे की खरीद या टिकटों की अवैध बिक्री, सार्वजनिक परीक्षा के प्रश्नपत्रों की बिक्री शामिल होगी। इस प्रकार के अपराधों को दोषी पाए जाने पर उन्हें जुर्माने के साथ एक से सात साल तक की कैद की सजा भी मिल सकती है। ये भी पढ़ें UP: बीजेपी में होगा बड़ा बदलाव, बदले जाएंगे 35 जिलों के अध्यक्ष