UCC को लेकर बड़ी बहस,मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बुलाई बैठक

Big debate on UCC,
Big debate on UCC,

समान नागरिक संहिता (UCC) एक विवादित और महत्वपूर्ण मुद्दा है जो भारत में व्यापक चर्चा को उठा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए बयान के बाद, इस मुद्दे पर तेजी से बहस शुरू हो गई है। उन्होंने एक भाषण में कहा है कि एक घर में अगर दो नियम होंगे तो क्या घर संचालित हो पाएगा? और इस प्रकार की दोहरी व्यवस्था के साथ देश कैसे चलेगा?

मुस्लिम समुदाय की सबसे बड़ी संगठन, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने इस मुद्दे पर अपनी बैठक आयोजित की है और इस बारे में चर्चा की है। उन्होंने यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) के लिए एक ड्राफ्ट तैयार किया है, जिसे विधि आयोग को सौंपा जाएगा।

पर्सनल लॉ के तहत मुस्लिम महिलाओं को कुछ विशेष छूट

यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) के आने से पहले इस्लामिक पर्सनल लॉ के तहत मुस्लिम महिलाओं को कुछ विशेष छूट मिलती थी। यह छूटें कुछ अवधारणाओं के आधार पर आयात की गई थीं, जैसे कि शादी, तलाक, विरासत और गोद लेने की मामले में।

  • शादी: इस्लामिक पर्सनल लॉ के तहत, मुस्लिम पुरुषों को चार शादियों की अनुमति होती है। हालांकि, यह धारणा कि मुस्लिम पुरुष अधिक शादियां करते हैं, गलत है। इंडियन नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार, मुस्लिम महिलाओं की संख्या में पति की दूसरी पत्नी की उपस्थिति बहुत कम है। यह इस्लामिक समुदाय में चार शादियों के पक्षधरों की सामान्य धारणा के खिलाफ है।
  • तलाक: इस्लामिक पर्सनल लॉ में तलाक के मामले में अलग नियम होते हैं। इस्लामिक शरीयत में तलाक की प्रक्रिया और शर्तें विस्तार से बयान की गई हैं और इसे पर्सनल लॉ से अलग माना जाता है। यह इस्लामिक समुदाय के लोगों को तलाक के मामलों में खुद के धर्मिक नियमों का पालन करने की स्वतंत्रता प्रदान करता है।
  • विरासत: इस्लामिक पर्सनल लॉ के तहत, मुस्लिम महिलाओं को विरासत में हिस्सा मिलता है, लेकिन इसके नियम और प्रक्रिया अलग होती हैं। हिंदू विरासत कानून की तुलना में, इस्लामिक पर्सनल लॉ में बेटे और बेटी के बीच वित्तीय संपत्ति के बंटवारे में अंतर होता है। यह मुस्लिम महिलाओं को अपने विरासती हिस्से के लिए प्रतिबंधित करता है।
  • गोद: इस्लामिक धर्म में गोद लेने की प्रथा मौजूद नहीं है। हालांकि, भारतीय कानून में गोद लेने का अधिकार मौजूद है, लेकिन इसे पर्सनल लॉ के कारण मुस्लिम महिलाओं से हटा दिया जाता है। यह इसलिए है कि वे इस्लामिक नियमों का पालन करना चाहते हैं और गोद लेने की प्रथा उनके धार्मिक आदर्शों के विपरीत है।