प्रतापगढ़ में मुख्यमंत्री गहलोत के नेतृत्व में बड़ा कदम: पीड़िता को 10 लाख रुपये सहायता और नौकरी का आलंब

Pratapgarh: प्रतापगढ़ में पीड़िता के परिवार से मिले CM गहलोत, 10 लाख की सहायता राशि और नौकरी का एलान
Pratapgarh: प्रतापगढ़ में पीड़िता के परिवार से मिले CM गहलोत, 10 लाख की सहायता राशि और नौकरी का एलान

प्रतापगढ़, राजस्थान: प्रतापगढ़ के धरियावद में हुई एक दरिंदगी वारदात के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बड़ा कदम उठाया है। सीएम गहलोत ने पीड़िता को 10 लाख रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की है, जो उसकी मदद करेगी। साथ ही, पीड़िता के होने वाले बच्चे की बेहतर परवरिश के लिए उसके नाम पर एफडी और बड़े होने पर नौकरी देने की घोषणा भी की है।

इस घटना के बाद, सरकार ने त्वरित कार्रवाई के लिए आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में फास्ट ट्रैक चलाने की घोषणा की है। 11 लोग हिरासत में लिए गए हैं, और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रतापगढ़ पहुंचकर पीड़िता के परिजनों से मुलाकात की और उन्हें सरकार का साथ दिलाया। वहीं, पीड़िता के परिवार के गरीबी का ध्यान रखते हुए, सीएम गहलोत ने कहा कि सरकार परिवार की देखरेख करने में भी मदद करेगी, जिनमें पीड़िता के पिता मजदूरी करते हैं और तीन भाई और एक बहन हैं।                            https://twitter.com/ANI/status/1697918254529089891?s=20

सीएम गहलोत ने इस मौद्दे पर बीजेपी को भी निशाना साधा और कहा कि वे इसे मणिपुर की घटना के साथ तुलना कर रहे हैं, लेकिन दोनों मामलों में बड़ा अंतर है। मणिपुर में घटना होने के बावजूद दो महीने तक पता नहीं चला था, जबकि प्रतापगढ़ में इसकी जानकारी प्राप्त होने पर ही 2 घंटे में ही आरोपियों को हिरासत में लिया गया।

विपक्षी पार्टी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी इस मामले पर आलोचना की और सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि इस घटना को मानवता को शर्मसार करने वाली माना जा सकता है, लेकिन सरकार इस पर अप्रत्युत्तर है। उन्होंने बच्चों के साथ हो रहे अपराधों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग की और कहा कि ऐसे घटनाओं को नहीं चलने देना चाहिए।

जेपी नड्डा ने कहा कि महिला अपराध में राजस्थान सबसे आगे है और इसके खिलाफ सरकार को दयालुने महिला सुरक्षा के लिए कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।                                  ये भी पढ़ें जीनत अमान उस समय को याद करती हैं जब अखबारों ने उन्हें ‘दुर्भावनापूर्ण’ और ‘शातिर’ शीर्षकों से निशाना बनाया था