दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने गुरुवार को देश की शीर्ष महिला पहलवानों द्वारा दायर यौन उत्पीड़न मामले में भाजपा सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Singh) को जमानत दे दी। यह आदेश विशेष एमपी एमएलए न्यायाधीश हरजीत सिंह जसपाल ने पारित किया।
कोर्ट ने यह भी कहा कि बृजभूषण बिना अनुमति के देश से बाहर नहीं जा सकते। साथ ही, वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उन लोगों को धमकी नहीं दे सकता, जिन्होंने उसके खिलाफ मामला दर्ज कराया है।
डब्ल्यूएफआई के पूर्व अतिरिक्त सचिव विनोद तोमर को भी अदालत ने जमानत दे दी। उन्होंने डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष के साथ मिलकर काम किया और कुश्ती संस्था के दैनिक मामलों की देखभाल की।
बृज भूषण और विनोद तोमर को 25,000 रुपये के निजी जमानत बांड पर जमानत दी गई।
खेल मंत्रालय और प्रदर्शनकारी पहलवानों के बीच हुई बैठक के बाद इस साल जनवरी में केंद्रीय खेल मंत्रालय ने विनोद को निलंबित कर दिया था।
इससे पहले मंगलवार को कोर्ट ने उन्हें दो दिन की अंतरिम जमानत दी थी। इसके बाद, बृज भूषण ने आरोप पत्र को शब्दशः रिपोर्ट किए जाने पर आपत्ति जताई और अदालत में मीडिया ट्रायल का भी आरोप लगाया।
विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया सहित शीर्ष ओलंपियन नाबालिग सहित सात पहलवानों के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप में सिंह की गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे।
बृज भूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Singh) के खिलाफ आरोप पत्र दायर होने के बाद, जून में पांच महीने से अधिक समय के बाद उन्होंने अपना विरोध बंद कर दिया।
डब्ल्यूएफआई प्रमुख के खिलाफ शिकायतों में अनुचित तरीके से छूने, लड़कियों की छाती पर हाथ रखने, छाती से पीठ की ओर हाथ ले जाने और उनका पीछा करने जैसे अन्य प्रयासों का जिक्र किया गया है।