अंतरिम बजट में किसानों के लिए कोई घोषणा नहीं हो सकी है। बजट से पहले संयुक्त किसान मोर्चा ‘एसकेएम’ ने केंद्र सरकार से पुरजोर मांग की थी कि अंतरिम बजट में किसानों के एमएसपी को लेकर सकारात्मक घोषणा की जाए। बड़े व्यापारियों, औद्योगिक कॉरपोरेट और उनके बिचौलियों द्वारा की जाने वाली बर्बर लूट को खत्म करने के मकसद से सभी फसलों के लिए एमएसपी@सी2+50% घोषित किया जाए। एसकेएम के मुताबिक, भाजपा के 2014 के चुनावी घोषणापत्र में कहा गया था कि सत्ता में आने पर एमएसपी@सी2+50% दिया जाएगा। पिछले दस वर्षों के शासन में पीएम मोदी के लिए किसानों को दी गई ‘अपनी गारंटी’ को पूरा करने का यह अंतिम अवसर था।
एसकेएम ने कहा कि बहुप्रचारित पीएम किसान सम्मान निधि को किसानों को एमएसपी@सी2+50% के उनके उचित अधिकार से वंचित करने और धोखा देने के लिए तैयार की गई है। वर्ष 2023-24 के लिए घोषित एमएसपी 2183 रुपये प्रति क्विंटल है, जो A-2+FL पर आधारित है। यानी किसान द्वारा लगाई गई लागत और परिवार के श्रम का मूल्य के आधार पर। डॉ. एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय किसान आयोग की वर्ष 2006 की सिफारिश के अनुसार, सी-2 का मतलब सकल लागत है, जिसमें A-2+एफएल लागत, स्वामित्व वाली भूमि का अनुमानित किराया मूल्य और निश्चित पूंजी पर ब्याज तथा पट्टे पर दी गई भूमि के लिए किया गया किराया भुगतान आदि शामिल है। वर्ष 2023-24 के अनुसार MSP@C2+50% राशि 2866.50 रुपये होती है। इस राशि की तुलना में A2+FL की राशि 683.50 रुपये प्रति क्विंटल कम है।
यदि केंद्र सरकार एमएसपी@सी2+50% लागू करती है, तो धान की औसत उत्पादकता 25 क्विंटल प्रति एकड़ और खरीद के लिए मंडी प्रणाली की मौजूदगी को देखते हुए, पंजाब के किसान को 17075 रुपये प्रति एकड़ (25 गुना 683.5 रुपये प्रति क्विंटल) का लाभ होगा। यह मानते हुए कि किसान प्रति वर्ष दो फसलें लेते हैं, यह लाभ 34150 रुपये प्रति एकड़ होगा। इस प्रकार, पीएम किसान सम्मान निधि से प्रति वर्ष 6000 रुपये प्राप्त करने के बाद, पंजाब के किसानों को प्रति एकड़ प्रति वर्ष 28150 रुपये का नुकसान होता है।
पूर्वी उत्तर प्रदेश में, जहां खरीद के लिए कोई मंडी प्रणाली मौजूद नहीं है, किसानों को धान के लिए केवल 1800 रुपये प्रति क्विंटल मिलते हैं। यह एमएसपी@सी2+50% (= 2866.5 रुपये) से 1066 रुपये कम है। इस प्रकार सी-2 आधारित एमएसपी न मिलने के कारण उन्हें प्रति एकड़ औसतन 25 क्विंटल के उत्पादन पर 26650 रुपये का नुकसान और प्रति वर्ष दो फसलों पर हुआ घाटा 53300 रुपये प्रति एकड़ प्रति वर्ष बैठता है। पीएम किसान सम्मान निधि से प्रति वर्ष 6000 रुपये प्राप्त करने के बाद, पूर्वी यूपी के किसानों को प्रति वर्ष 47300 रुपये प्रति एकड़ का नुकसान हो रहा है। इसलिए, किसान प्रधानमंत्री से किसी विशेषाधिकार की नहीं, बल्कि एमएसपी@सी2+50% के अपने उचित अधिकार की मांग कर रहे हैं।
एसकेएम ने बजट से पहले ही कह दिया था कि मोदी सरकार इस लेखानुदान में सभी फसलों की खरीद के साथ एमएसपी@सी2+50% घोषित नहीं करती है, तो देश के किसान भी लोकसभा चुनाव में भाजपा को वोट नहीं देने की घोषणा करेंगे। अंतरिम बजट में किसानों के लिए कोई भी उत्साहवर्धक घोषणा नहीं हुई है। एसकेएम, पीएम मोदी को ऐतिहासिक किसान संघर्ष के साहसिक नारे ‘नो फार्मर, नो फूड’ (किसान नहीं, तो अन्न नहीं) की याद दिलाना चाहता है, जिसमें 736 किसान शहीद हो गए थे। प्रधानमंत्री को यह साबित करना होगा कि ‘9 दिसंबर 2021’ के लिखित आश्वासन का सम्मान करते हुए मोदी की गारंटी लागू की जाएगी या नहीं।