चांद्रयान-3 मिशन को लॉन्च करके चांद के दक्षिणी ध्रुव से जुड़े रहस्यों का पर्दा उठाने का एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह मिशन चंद्रयान-2 मिशन का फॉलो-अप माना जा सकता है, जिसमें 2019 में विक्रम लैंडर क्रैश हो गया था। इस बार के मिशन में ‘ऑर्बिटर’ को शामिल नहीं किया गया है और इसलिए इसका खर्च पिछले मिशन से कम है। चंद्रयान-3 के लॉन्च करने के बाद केवल 16 मिनट में यह ऑर्बिट में पहुंच गया है, जिसके बाद पूरी दुनिया इसकी लैंडिंग पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
615 करोड़ रुपये हुए खर्च
इस मिशन के लिए भारत ने करीब 615 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, जबकि चांद धरती से करीब 3.80 लाख किलोमीटर दूर है। यह भारत के लिए बहुत ही सस्ता सफर है, क्योंकि इसकी कीमत प्रति किलोमीटर 16,000 रुपये से भी कम है। इसरो के मापदंडों के मुताबिक, चंद्रयान-3 का वजन चंद्रयान-2 की तुलना में थोड़ा ज्यादा है, जो 3900 किलोग्राम है।
इसके अलावा, टेस्ला के एलन मस्क और अमेज़न के जेफ बेजोस दोनों अपने अंतरिक्ष मिशन में गहरी दिलचस्पी रखते हैं। दोनों उद्योगपति अंतरिक्ष पर स्पेस टूरिज़्म मिशन पर काम कर रहे हैं। एलन मस्क की स्पेसएक्स के मिशन का खर्च लगभग 900 करोड़ रुपये है, जो इसरो के चंद्रयान-3 के मुकाबले काफी अधिक है। इसरो का चंद्रमा मिशन तुलना में काफी सस्ता माना जा सकता है।
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