बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने दिव्यांगों के कल्याण के नाम पर 1,000 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच के लिए सीबीआई को आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि सीबीआई 5 फरवरी 2020 को भोपाल में दर्ज एफआईआर के आधार पर जांच कर सकती है। अगर एफआईआर दर्ज नहीं हुआ है, तो सीबीआई नए सिरे से एफआईआर दर्ज कर 15 दिनों के भीतर राज्यभर के संबंधित विभाग, संगठन और कार्यालयों से मूल रिकॉर्ड जब्त करे।
इस प्रकरण की जांच तत्कालीन भूपेश बघेल सरकार ने रोक दी थी, जिसके चलते एफआईआर मध्य प्रदेश में दर्ज की गई थी। न्यायमूर्ति प्रार्थ प्रतीम साहू और न्यायमूर्ति संजय कुमार जायसवाल की खंडपीठ ने इसे प्रणालीगत भ्रष्टाचार बताया और कहा कि इसमें उच्च स्तर के अधिकारी शामिल हैं। इस मामले में तत्कालीन महिला एवं बाल विकास मंत्री और वर्तमान भाजपा विधायक रेणुका सिंह, तत्कालीन मुख्य सचिव विवेक ढांड, एमके राउत, आलोक शुक्ला, सुनील कुजूर, बीएल अग्रवाल, सतीश पांडे, पीपी श्रोती समेत कई नाम जांच के दायरे में हैं।
2004 में प्रदेश सरकार ने दिव्यांगों के पुनर्वास के लिए स्टेट रिसोर्स सेंटर (SRC) की स्थापना की थी। 2012 में इसके तहत फिजिकल रेफरल रिहैबिलिटेशन सेंटर भी शुरू हुआ। आरटीआई के माध्यम से की गई जांच में 31 अनियमितताएं सामने आईं, जिसमें SRC का 14 साल तक ऑडिट न होना शामिल है।
कुंदन सिंह ठाकुर ने 2018 में जनहित याचिका दायर कर आरोप लगाया कि कर्मचारियों की नियुक्ति किए बिना उनके नाम पर वेतन निकाला जा रहा था। जांच में यह भी पता चला कि कई नाम फर्जी रिकॉर्ड में शामिल थे, जबकि उन्होंने कभी काम नहीं किया। कुल घोटाले की राशि 1,000 करोड़ रुपये से अधिक बताई जा रही है।
हाईकोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया है कि वह स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच जारी रखे और किसी भी तरह की ढिलाई न बरते।