भारतीय वाहन मार्केट में समय के साथ कॉम्पैक्ट साइज में आने वाली गाड़ियों की डिमांड बढ़ी है। पिछले कुछ वर्षों के भीतर ही ये सेगमेंट ग्राहकों के दिलों में स्थान बनाने में सफल हुआ है। ऐसे में बहुत से लोग होते हैं जो कन्फ्यूजन में रहते हैं कि उन्हें कॉम्पैक्ट कार खरीदनी चाहिए या नहीं।आज के इस लेख में हम आपको इसी तरह की गाड़ियों के बैनिफिट्स बताने वाले हैं और इसके कुछ नुकसान भी बताएंगे।
क्यों खरीदनी चाहिए कॉम्पैक्ट एसयूवी
कॉम्पैक्ट एसयूवी खरीदने के पीछे ग्राहकों का टशन होता है। क्योंकि इस तरह की गाड़ी देखने में आकर्षक लगती है। इनमें पूरी एसयूवी की तुलना में कुछ चीजें कम ऑफर की जाती है। लेकिन जब बात कम्फर्ट की आती है तो ये ग्राहकों के लिए बेस्ट साबित होती हैं।इनमें एसयूवी की तुलना में सीटिंग कैपिसिटी कम मिलती है और इनका साइज भी इसकी तुलना में छोटा होता है। इन्हें किसी भी जगह ड्राइविंग करने के लिहाज से तैयार किया जाता है। यानी एसयूवी के छोटी गलियों या रास्तों में फंसने की दिक्कत होती है। लेकिन कॉम्पैक्ट एसयूवी के साथ ऐसा नहीं होता है।
पावर के मामले में कौन बेस्ट
अब बात पावर की करी जाए, तो इन गाड़ियों को भी मुख्यतौर पर ऑफरोडिंग या ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर ड्राइव करने के लिए बनाया जाता है। लेकिन जो फुल एसयूवी होती हैं उनमें कॉम्पैक्ट एसयूवी की तुलना में ज्यादा पावरफुल इंजन मिलता है। लेकिन यहां ध्यान देने वाली बात है कि कॉम्पैक्ट एसयूवी भी बहुत से मामलों में फुल साइज एसयूवी को टक्कर देती हैं।
कॉम्पैक्ट एसयूवी के उदाहरण
टाटा नेक्सन, मारुति सुजुकी ब्रेजा, किआ सेल्टॉस और हुंडई क्रेटा जैसी गाड़ियां कॉम्पैक्ट एसयूवी के सही उदाहरण हैं। वहीं फुल साइज एसयूवी में टोयोटा फॉर्च्यूनर, फॉर्ड एंडेवर जैसी गाड़ियों को शामिल किया जा सकता है।