प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के खिलाफ लोकसभा में लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर आज से चर्चा शुरू होगी। इस बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी सांसद में वापसी के बाद सहसे पहले विपक्ष की ओर से इस प्रस्ताव पर चर्चा कर सकते है. चर्चा के दौरान गृहमंत्री अमित शाह भी मणिपुर मुद्दे के संदर्भ में सवालों का जवाब दे सकते हैं। मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा दोपहर 12 बजे से शाम 7 बजे तक चलेगी।
वहीं कल यानी गुरुवार को शाम 4 बजे पीएम मोदी अविश्वास प्रस्ताव के बहस का जवाब देने की संभावना है। चर्चा की शुरुआत के लिए कांग्रेस के गौरव गोगोई का नोटिस स्वीकार हुआ है। इसके चलते वह प्रस्ताव पेश करेंगे। लेकिन राहुल गांधी को भी चर्चा की शुरुआत करने का मौका मिल सकता है। चर्चा के दौरान विभिन्न पार्टियों के नेता अपने पक्ष को समर्थन देने के लिए अपने-अपने तरीके से आवाज उठा सकते हैं।
इसके पहले भी साल 2018 में मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में एक बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। अविश्वास प्रस्ताव को लोकसभा ने स्वीकार कर लिया था। इस बार अविश्वास प्रस्ताव का विचार बीते 26 जुलाई को किया गया था और उसे स्वीकार कर लिया गया था।
क्या है अविश्वास प्रस्ताव?
संविधान में अविश्वास प्रस्ताव एक सांसदीय प्रक्रिया है जिसका उपयोग संसद में बहुमत वाली सरकार के खिलाफ संविदानिक तौर पर सदन की विश्वास प्रक्रिया को प्रारंभ करने के लिए किया जाता है। यह प्रस्ताव संसद के दोनों सदनों में प्रस्तुत किया जा सकता है, लेकिन यह तभी पारित होता है जब यह दोनों सदनों में बहुमत प्राप्त करता है। अविश्वास प्रस्ताव के पारित होने के बाद, अगर सरकार को अधिकांश सदस्यों के विरुद्ध मत मिलता है, तो सरकार को सदन से इस्तीफा देना पड़ता है और नए प्रधानमंत्री को नियुक्त किया जाता है। यदि अविश्वास प्रस्ताव का मत बहुमत से प्राप्त नहीं होता है, तो सरकार आगे काम करने की अनुमति प्राप्त करती है।
इस प्रक्रिया के माध्यम से संसद के सदस्य सरकार के प्रति अपने आपकी राय और समर्थन व्यक्त करने का मौका प्राप्त करते हैं और सरकार को संसद में समर्थन प्राप्त करने की जरूरत होती है। यह प्रक्रिया भारतीय संविधान में संसदीय लोकतंत्र के महत्वपूर्ण पहलु में से एक है.
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