केंद्रीय सचिवालय सेवा ‘सीएसएस’ के लगभग 12000 अधिकारी, अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों में करीब 2600 अतिरिक्त पदों की आवश्यकता है। इस बाबत सभी विभागों ने डीओपीटी को यह सूची मुहैया कराई है। इसमें एएसओ, एसओ, अंडर सेक्रेटरी, डिप्टी सेक्रेटरी और डायरेक्टर के पद शामिल हैं। एक तरफ सीएसएस अधिकारियों को तय समय पर पदोन्नति नहीं मिल पा रही है, तो दूसरी ओर रिक्त पदों को नहीं भरा जा रहा। एनएफएफयू, ओजीएएस और प्रतिनियुक्ति पर पाबंदी जैसे मुद्दे दस वर्ष से लंबित हैं। अपनी मांगों के समर्थन में सोमवार को नॉर्थ ब्लॉक पर हल्लाबोल करने वाली ‘सीएसएस फोरम’ (केंद्रीय सचिवालय सेवा के अधिकारियों की एसोसिएशन) ने अब इस आंदोलन को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है। पदोन्नति की लड़ाई के लिए पहले तीन दिन शांति मार्च होगा। इसके बाद भी सरकार नहीं मानती है, तो असहयोग आंदोलन शुरू होगा। इस स्थिति में केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों में कामकाज ठप हो सकता है।
तीन दिन शांति मार्च निकालेंगे सीएसएस अधिकारी
सीएसएस फोरम के महासचिव आशुतोष मिश्रा ने शांति मार्च और असहयोग आंदोलन बाबत डीओपीटी सचिव को नोटिस के माध्यम से अवगत करा दिया है। सीएसएस अधिकारी, सात मार्च को दोपहर डेढ़ बजे शास्त्री भवन पर शांति मार्च करेंगे। इसके बाद 11 मार्च को दोपहर डेढ़ बजे निर्माण भवन पर सीएसएस अधिकारी शांति मार्च निकालेंगे। 13 मार्च को दोपहर डेढ़ बजे नॉर्थ ब्लॉक पर शांति मार्च निकाला जाएगा। केंद्र सरकार ने इसके बाद भी सीएसएस कैडर की मांगों पर कोई सकारात्मक पहल नहीं की तो असहयोग आंदोलन शुरू होगा। हजारों अधिकारियों ने सोमवार को नॉर्थ ब्लॉक पर हल्लाबोल किया था। ‘सीएसएस फोरम’ का कहना है, केंद्रीय सचिवालय सेवा के अधिकारी, पदोन्नति में पिछड़ रहे हैं। अंडर सेक्रेटरी को डिप्टी सेक्रेटरी के पद तक पहुंचने में 13 साल लग रहे हैं। मौजूदा समय में लगभग 1200 अंडर सेक्रेटरी ऐसे हैं, जो डिप्टी सेक्रेटरी बनने की सभी योग्यताएं पूरी करते हैं। लंबे समय से इन्हें पदोन्नति का इंतजार है। लगभग 100 डिप्टी सेक्रेटरी ऐसे हैं, जिन्होंने डायरेक्टर बनने के सभी पड़ाव पार कर लिए हैं, मगर ये सभी अधिकारी एक ही पद पर काम करने को मजबूर हैं। डेढ़ वर्ष से कैडर समीक्षा रिपोर्ट लंबित है।