-कशिश राजपूत
कृषक आन्दोलन (Farmer Protest) का इतिहास बहुत पुराना है और विश्व के सभी भागों में अलग-अलग समय पर किसानों ने कृषि नीति में परिवर्तन करने के लिये आन्दोलन किये हैं ताकि उनकी दशा सुधर सके। मोजुदा दौर में भारत में कृषक आंदोलन तेज गति से बढ़ रहे है इसका मुख्य कारण कृषक की आर्थिक हालत दिन प्रति दिन कमजोर हो रही है और वो कर्ज के मकड़ जाल में फंस रहा क्यों की मौजूद दौर में कृषि में लागत बढ़ रही है आमदनी घट रही है जिस कारण से किसानो में आत्म हत्या की घटनाए बढ़ रही है। दूसरी तरफ लोग कृषि निति बदलवाने के लिए संघर्ष कर रहे है ।
दिल्ली तीव्र किसान प्रदर्शनों की गवाह बनी,सिंघु बॉर्डर पर भारी संख्या में किसान ट्रैक्टर-ट्राली के साथ पहुंचे,जिसके मद्देनजर खासा बंदोबस्त और कड़ी सुरक्षा की गई थी,जिसके बाद दिल्ली बॉर्डर में घुसने की बेहद कोशिश की गई। नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों का धरना जारी है, किसानों ने आज रात सिंघु बॉर्डर पर गुजारी, जिसके बाद आज किसानों की मीटिंग होने वाली है। मीटिंग में तय किया जाएगा कि किसान दिल्ली की ओर कूच करेंगे या वहीं पर प्रदर्शन जारी रखेंगे।
किसानों को दिल्ली के बुराड़ी मैदान में प्रदर्शन की इजाजत मिल गई है, लेकिन किसान अभी भी सिंघु बॉर्डर पर ही डटे हुए हैं। किसान पूरी तैयारी के साथ प्रदर्शन करने के लिए ‘6 महीने का राशन लेकर आए हैं’। नए कृषि कानूनों को वापस लेने की है मांग, जिसके तहत प्रदर्श जारी है। किसानो के प्रदर्शन की वजह से कल दिल्ली मेट्रो की NCR से सर्विसेज भी बंद कर दी गई थी , जिसको शाम 5:30 करीब वापस शुरू किया गया, साथ ही प्रदर्शन की वजह से काम पर जाने वाले लोगो को दिक्कत्तों का सामना करना पढ़ रहा है।